नई दिल्ली: गुड़गांव में जमीन सौदे के मामले में शनिवार को रॉबर्ट वाड्रा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है। जिन लोगों को दोषी पाया जाएगा, उन्हें सजा मिलेगी। इस मामले में अलग-अलग एजेंसिया जांच कर रही हैं और कानून अपना काम करेगा। वहीं रॉबर्ट वाड्रा ने भी मामले को लेकर अपना बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि ‘’चुनावी मौसम है, तेल के दाम बढ़ गए हैं, इसलिए जनता का ध्यान अहम मुद्दों से भटकाने के लिए मेरे एक दशक पुराने मुद्दे को उछाला गया है। इसमें नया क्या है?
मालूम हो कि रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जमीन खरीद मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा उनके साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी शामिल है। दोनों के खिलाफ खेड़कीदौला थाने में मामला दर्ज किया गया है। रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जो एफआईआर हुई है उसमें आरोप है कि सारे नियम ताक पर रखकर हरियाणा में उन्हें करोड़ों का फायदा पहुंचाया गया। एफआईआर गुरुग्राम के खेड़की दौला पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई है।
मामले के अनुसार वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड पर गुरुग्राम के सेक्टर 83 में 3.5 एकड़ जमीन ओंकरेश्वर प्रॉपर्टीज से वर्ष 2008 में 7.50 करोड़ रुपए में खरीदने का आरोप है। जिस वक्त जमीन खरीदी गई उस वक्त हुड्डा राज्य के मुख्यमंत्री थे और उनके पास आवास एवं शहरी नियोजन विभाग भी था। एफआईआर में कहा गया कि स्काईलाइट ने बाद में हुड्डा के प्रभाव से कॉलोनी के विकास के लिए कमर्शल लाइसेंस प्राप्त कर इस जमीन को डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेचा। इसमें नियमों को उल्लंघन कर गुरुग्राम के वजीराबाद में डीएलएफ को 350 एकड़ जमीन बेचने का भी आरोप है, जिससे इस रियल एस्टेट कंपनी को 5000 करोड़ रुपए का लाभ पहुंचा। एफआईआर में आईपीसी की धारा 420 यानी धोखाधड़ी, धारा 120 बी(आपराधिक पड्यंत्र), धारा 467(फर्जीवाड़ा), धारा 468(धोखाधड़ी के लिए फर्जीवाड़ा), 471 यानी दस्तावेजों की जालसाजी और इसके अलावा प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 13 के तहत भी कार्रवाई की गई है।