देहरादून: भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा के इस्तीफे के बाद अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आए सहारनपुर के गुप्ता बंधुओं को उत्तराखंड में मिली जेड श्रेणी की सुरक्षा हटा दी गयी है। सुरक्षा एजेंसियों ने प्रकरण को लेकर गृह विभाग को गोपनीय रिपोर्ट भेजी थी। इसी आधार पर गृह विभाग ने बीते सोमवार को गुप्ता बंधुओं की सुरक्षा हटाने के निर्देश दिए।
आपको बता दें, निशंक सरकार में तीनों को वाई श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध थी, लेकिन हरीश रावत सरकार में एक पूर्व नौकरशाह की मेहरबानी से अजय व राजेश गुप्ता को जेड श्रेणी की सुरक्षा दे दी गई। अमूमन सरकारें ये सुरक्षा किसी को नहीं देती हैं। त्रिवेद्र सरकार ने भी उनकी सुरक्षा आगे बढ़ा दी थी। अब विवादों में आने के बाद सरकार ने यह सुरक्षा हटाने के आदेश कर दिए हैं। बहरहाल समझ पाना मुश्किल है कि आखिर दुनिया में बदनाम हो चुके कारोबारी गुप्ता बंधुओं पर राज्य की राज्य सरकार इतनी मेहरबान क्यों हुई थी।
गुप्ता बंधुओं के ठिकानों में हुई थी छापेमारी
गौरतलब है कि पिछले दिनों आयकर विभाग ने तीनों भाइयों के दून, सहारनपुर, हरिद्वार, नोएडा, चंडीगढ़ और दिल्ली के ठिकानों पर दबिश दी, जिसमें करोड़ों रुपये की अकूत संपत्ति का खुलासा हुआ था। इनकम टैक्स की टीम ने दून के सात कर्जन रोड स्थित कोठी में भी सर्च छापेमारी की थी। पुलिस टीम साथ लेकर टीम ने गुप्ता बंधुओं के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की थी।
संदेह के दायरे में राष्ट्रीयकृत बैंक
गुप्ता बंधुओं को कर्ज देने के मामले में एक राष्ट्रीयकृत बैंक की भूमिका भी संदेह के दायरे में आ गई है। आरोप है कि गुप्ता बंधुओं को कर्ज देने के लिए बैंक ने दक्षिण अफ्रीका में अपनी शाखा खोली और राजनैतिक अस्थिरता के दौर के बीच गुप्ता बंधुओं पर जांच एजेंसियों का जैसे ही शिकंजा कसा दक्षिण अफ्रीका की शाखा को एक मार्च को बंद कर दिया गया। ऐसे में आयकर विभाग बैंकों की भूमिका की जांच में जुट गया है। गुप्ता परिवार का पूरा लेन-देन इसी बैंक के माध्यम से ही हो रहा था। वह भारत में भी इसी के जरिए ही रुपये भेजते थे। जो भारत में इस बैंक के साथ ही अन्य बैंकों के खातों में आते थेा।