नैनीताल: हाईकोर्ट ने यौन उत्पीडन के मामले में दायर एफआईआर के बाद पीडिता व उसके परिवारों वालों पर केस वापस लेने का दबाव बनाने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता व उसके परिवार को सुरक्षा मुहैयया कराने के निर्देश एसएसपी हरिद्वार को दिए हैं। कोर्ट ने आईओ द्वारा पाक्सो एक्ट के उल्लंघन किए जाने पर डीजीपी को आदेशित किया है कि वह उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करें क्योंकि उसने पीडिता के स्कूल में विजिट किया और उसके परिजनों को थाने में बुलाने का दबाव बनाया। कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर जांच अधिकारी वूमन जो सब इंस्पेटर की रैंक से नीचे नहीं होना चाहिए उसकी नियुक्ति करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि बच्ची के बयान रिकार्ड नहीं हुए है तो उसके घर या सूटेबिल जगह जो उसके परिजन बताए वहां पर उसके बयान दर्ज किए जाए। कोर्ट ने कहा कि 376 व पाक्सो के केस में वूमेन जांच अधिकारी होगी जो सब इंस्पेक्टर रेंक से नीचे की न होगी। जो मेडिकल करती है उसके लिए भी महिला डाक्टर ही होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा मीडिया, वटसअैप टिवीटर के जरिया पीडिता व पीडिता के परिवारों की आइडेंटीटी डिस्क्लोज नहीं होनी चाहिए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार रूडकी जिला हरिद्वार निवासी पीडिता के परिजन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उसकी 16 वर्षीय पुत्री का यौन शोषण किया गया था। जिसकी रिपोर्ट उन्होंने 24 जुलाई 2018 के आरोपी के खिलाफ धारा 354, 506 व पाक्सो एक्ट में लिखाई थी। जिसके बाद आईओ के द्वारा पीडिता के स्कूल में विजीट किया थाने में परिवार को बुलाने के लिए दबाव बना रहा था। याचिका में कहा कि आरोपी की ओर से उन्हें धमकी दी जा रही है और केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। याचिका में कहा कि 20 अगस्त 2018 को याचिकाकर्ता ने एसएसपी हरिद्वार को उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्यावेदन भी दिया गया है। याचिका में कोर्ट ने प्रार्थना की गई कि वर्तमान में जांच अधिकारी पुरूष है उसे बदलकर महिला जांच अधिकारी नियुक्त किया जाए और उसे व उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए।