बागेश्वर 17 फरवरी, 2021: पीसीपीएनडीटी (गर्भ धारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक- विनियमन तथा दुरूपयोग अधिनियम) के तहत स्वास्थ्य विभाग बागेश्वर की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 बीडी जोशी की अध्यक्षता में आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी विधि द्वारा प्रसव पूर्व लिंग जांच अथवा निर्धारण नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत इसमें कार्रवाई का प्रावधान है। शासन द्वारा बेटियों की सुरक्षा एवं उनके समग्र विकास के लिए बेटी बचाओ बेटी पढाओं अभियान का संचालन किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य कन्या जन्म को प्रोत्साहित करना है। उन्होने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट की जानकारी आम जन को कम होने से विसंगतियां सामने आती है। इसलिए यह जरूरी हैं हम सभी लोगो को अधिक आबादी वाले गांवों एवं शहरी क्षेत्रों में होर्डिग तथा दीवार लेखन कर एक्ट की जानकारी आम जन को दी जाए। चिकित्सक एवं समाज इस कार्य में अग्रणी भूमिका निभानी होगी।
स्थानीय एक होटल में आयोजित कार्यशाला में पीसीपीएनडीटी एक्ट की जानकारी देते हुए उन्होने बताया कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जनपद में समिति का गठन किया गया है, जिसमें निजी स्वास्थ्य केंद्रों सहित अन्य विभागीय व सामाजिक सरोकारों से जुड़े व्यक्तियों को शामिल किया गया है। उन्होने यह भी कहा कि लिंगानुपात में जनपद बागेश्वर प्रदेश में प्रथम स्थान पर हैं, जिसके लिए सभी को और अधिक सजकता से कार्य करते हुए इसका व्यापक रूप में प्रचार-प्रसार किया जाय। उन्होने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों को समाप्त करने के लिए हम सभी लोगो को मिलजुल कर कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यशाला में प्रतिभागियों को पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत लिंग निर्धारण की जांच करवाने वाले के विरूद्ध की जाने वाली कार्रवाई के बारे में विस्तृत से जानकारी दी गई।
कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 वी0के0सैक्सेना ने प्रतिभागियों को विस्तारपूर्वक पीसीपीएनडीटी एक्ट के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भू्रण जांच करवाना या करना अपराध है। शासन द्वारा पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत मानीटरिंग की व्यवस्था की गई है। शासकीय एवं पंजीकृत अशासकीय संस्थाओं के माध्यम से सोनोग्राफी का कार्य प्रशिक्षित चिकित्सकों के माध्यों से किए जाने का प्रावधान है। प्रावधानों का उल्लंघन करनें पर सजा का भी प्रावधान है। उन्होने कहा कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा कन्या भ्रूण हत्या, लिंग जांच के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी दी जाती हैं, तो उसके नाम इत्यादि का गुप्त रखते हुए शासन द्वारा उसे पांच हजार तक का रइनाम दियें जाने का प्रवधान भी है। कार्यशाला में प्रभारी चिकित्सा काण्डा हरीश पोखरिया, डॉ0 प्रमोद जंगपांगी, डॉ0 मुन्ना लाल सहित बाल विकास विभाग के सुपरवाइज़र व आशा कार्यकत्री तथा संबंधित कर्मचारी मौजूद रहें।