देहरादून: उत्तराखंड की बीजेपी सरकार में अंदुरुनी कलह बढ़ती हुई नजर आ रही है। सूबे की सरकार के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत एक बार फिर सुर्खियों में आ सकते हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने दमयंती रावत के प्रकरण में जांच के आदेश दिए है। पांडे ने विद्यालयी शिक्षा के सचिव भूपिंदर कौर औलख को तीन दिन में मामले की जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह के सभी लोगों के खिलाफ कारवाही होगी जो शिक्षा विभाग में नियुक्त होने के बावजूद किसी अन्य विभाग में कार्यरत हैं। जबकि विद्यालयी शिक्षा के सचिव भूपिंदर कौर औलख ने अपना पल्ला झाड़ते हुए यह कह दिया कि इस विषय में “मैं कुछ नहीं बोल सकती”।
मसाला कुछ ऐसा है कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की करीबी मानी जाने वाली दमयंती रावत को बिना विभागीय अनुमति के कर्मकार कल्याण बोर्ड का अपर कार्यकारी अधिकारी बना दिया गया है। शिक्षा विभाग में कार्यरत होने के बावजूद दमयंती ने एनओसी नहीं ली है।
इस पर नारजगी जताते हुए शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि दमयंती के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। और जरूरत पड़ी तो बर्खास्त करने का भी निर्णय लिया जा सकता है।
कैबिनेट मंत्री हरक और दमयंती का पहले से है कनेक्शन
पिछली सरकार में भी हरक सिंह रावत ने दमयंती को नियमों के विपरीत जा कर दी थी नियुक्ति। पूर्व की कांग्रेस सरकार में कृषि विभाग ने दमयंती रावत को बीज एवं जैविक प्रमाणिकरण अभिकरण में निदेशक पद पर प्रतिनियुक्त कर दिया गया था। दमयंती ने बिना एनओसी लिए ही ज्वाइन भी कर लिया था। जिसके बाद तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी और तत्कालीन कृषि मंत्री डॉ.हरक सिंह के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई थी। तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा के हस्तक्षेप पर दमयंती को निदेशक से हटाकर ओएसडी बना दिया गया था। बाद में कृषि विभाग ने फिर उन्हें ओएसडी के साथ अभिकरण में प्रभारी निदेशक बना दिया था। हरक के भाजपा में जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश पर दमयंती व कई हरक समर्थकों को हटा दिया गया था।