देहरादून: विवादों का भंवर इन दिन ऐसा उठ रहा है कि उसमें सिर्फ और सिर्फ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ही फंस रहे हैं। उत्तरा प्रकरण के पश्चात् एक के बाद एक विवाद उनके नाम जुड़ते जा रहे हैं। एक और ताजे विवाद में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत फिर फंस गए हैं। यह विवाद हालांकि नया नहीं है, लेकिन सामने अब आया।
प्रदेश की राजनीति इस बार झारखंड से गरमाने जा रही है। मौजूदा सीएम और झारखंड प्रभारी रहे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा है। मामला 2015 का है, जब वे झारखंड के प्रभारी थे। झारखंड विकास मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है। उन्होंने झारखंड के राज्यपाल को एक पत्र लिखा है, जिसमें सरकार बनाते समय 6 विधायकों को पैसे देकर खरीदने का आरोप है और उसमें सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम भी है।
पत्र में कहा गया है कि, जो भी पैसे दिए गए थे। वह तत्कालीन भाजपा झारखंड प्रभारी त्रिवेंद्र सिंह रावत की देख-रेख में और उनके निर्देश पर दिए गए थे। इसमें कहा गया है कि, तब टीएसआर ने 6 विधायकों को 11 करोड़ रुपये दिए थे। बाबूलाल मरांडी ने मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करने के साथ ही विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की भी मांग की है।
हालांकि पत्र की सत्यता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। बाबूलाल मरांडी ने जो पत्र जारी किया है। वह भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष के लेटर हेड पर है। इसमें दिए गए कुछ तथ्यों से भी ऐसा लगता है कि यह झूठा पत्र है और इससे छेड़छाड़ की गई है। बाबूलाल मरांडी ने पत्र जरूर जारी किया है, लेकिन उसके सही होने के कोई प्रमाण पेश नहीं किए। इसके चलते भी पत्र की सत्यता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत इस सियासी बवंडर से कैसे बाहर निकलते हैं। यह भी देखने वाली बात होगी कि उत्तराखंड में कांग्रेस इस मसले को किस तरह लेती है। बहरहाल सीएम की मुश्किलें लगातार कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं।