देहरादून: आज पूरे विश्व भर में 52वां साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है। विश्व साक्षरता दिवस मनाये जाने का उद्देश्य है जन-जन तक शिक्षा का प्रसार हो और लोग साक्षर हों। पहली बार 8 सितंबर 1966 में विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया। विश्व साक्षरता दिवस मनाने की घोषणा सबसे पहले यूनेस्को ने 7 नवंबर 1965 में किया था। तब से हर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है। निरक्षरता को खत्म करने के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाने का विचार पहली बार ईरान के तेहरान में शिक्षा के मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौरान साल 1965 में 8 से 19 सितंबर को चर्चा की गई थी। 26 अक्टूबर, 1966 को यूनेस्को ने 14वें जरनल कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा हर साल दुनिया भर में 8 सितंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इस साल ये 52वां अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस है।
मानव विकास और समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। भारत में या देश-दुनिया में गरीबी को मिटाना, बाल मृत्यु दर को कम करना, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, लैंगिक समानता को प्राप्त करना आदि को जड़ से उखाड़ना बहुत जरूरी है। ये क्षमता सिर्फ साक्षरता में है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकता है। साक्षरता दिवस लगातार शिक्षा को प्राप्त करने की ओर लोगों को बढ़ावा देने के लिये और परिवार, समाज तथा देश के लिये अपनी जिम्मेदारी को समझने के मनाया जाता है।
भारत में सुधरती शिक्षा व्यवस्था के बदौलत 2011 जनगणना के मुताबिक भारत में साक्षरता दर 75.06 है। आजादी तक यानी 1947 में मात्र भारत में शैक्षिक दर 18% थी।भारत में साक्षरता के मामले में पुरुष और महिलाओं में काफ़ी अंतर है जहा पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 है वहीं महिलाओं में इसका प्रतिशत केवल 65.46 है।