देहरादून: आज विश्व खाद्य दिवस है, पर क्या सही मायने में यह जश्न मनाने का दिन है…? क्या आपको लगता है कि हमें वास्तव में विश्व खाद्य दिवस मनाना चाहिए…? क्या हमारी स्थिति ऐसी है कि हम खाद्य दिवस पर खुश हो सकें…? अगर हाल ही में ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) की रिपोर्ट को देखा जाए, तो वह कहती है कि फिलहाल हमें खाद्य दिवस मनाने की कतार में खड़े होने लायक बनना होगा। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत दुनिया के 119 देशों के बीच 103वें नंबर पर है। यह इसलिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि बांग्लादेश और नेपाल जैसे देश भी हमसे बेहतर स्थिति में हैं। पाकिस्तान हमसे केवल तीन पायदान पीछे यानि 106वें स्थान पर है। इतना बताने के लिए काफी है कि हमें खाद्य दिवस मनाना चाहिए या फिर विकासशील से विकसित बनने के लिए झूठे आंकड़ों को सहारा लेना चाहिए। सवाल यह है कि हम विश्व गुरू बनने का ख्वाब तो देखते हैं, लेकिन क्या भूखे पेट या भुखमरी में हम उस ख्वाब तक पहुंच पाएंगे।
भूख केवल भारत की समस्या नहीं है। यह दुनियाभर के 119 देशों के लिए चुनौती है, लेकिन हमारी स्थिति बेहद चिंताजनक है। हंगर इंडेक्स के आंकड़े बताते हैं कि हम लगातार नीचे गिरते जा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में हमने काफी तरक्की भी की, लेकिन भुखमरी को कम करने में हमारी स्थिति और खराब होती जा रही है। आंकड़ों का हिसाब-किताब लगाया जाए तो, स्थिति की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में करीब 50 लाख बच्चे कुपोषण के चलते जान गंवाते हैं। वहीं, गरीब देशों में 40 प्रतिशत बच्चे कमजोर शरीर और कमजोर दिमाग के साथ बड़े होते हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में 85 करोड़ 30 लाख लोग भुखमरी का शिकार हैं। अगर हम भारत की बात करें तो हमारे देश में भूखे लोगों की संख्या 20 करोड़ से भी अधिक है।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट की बात करें तो, उसके अनुसार भारत में हर दिन 244 करोड़ रुपये का खाना बर्बाद कर दिया जाता है। इतने पैसे में 20 करोड़ से अधिक भूखे लोगों का पेट भरा जा सकता है। एक अनुमान के तहत देश की आबादी का पांचवा हिस्सा हर दिन भूखे सो जाते हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़ों को सच मानें तो रोजाना 3000 बच्चे भूख से मर जाते हैं। भूखे लोगों की करीब 23 प्रतिशत आबादी अकेले भारत में है, भारत में पांच साल से कम उम्र के 38 प्रतिशत बच्चे कुपोषण में जीने को मजबूर हैं।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के एक अधिवेशन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत की तारीफ की थी कि भारत ने लाखों लोगों को भुखमरी से बाहर लाया है। सरकार भी यही दावे कर रही है, लेकिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स के दावे इन सभी की पोल खोलते नजर आते हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने हर आंकड़े को सिरे से खारिज करते हुए अगल ही तस्वीर दिखाई है, जिस पर गंभीरता से चिंतन करने की जरूरत है।
लोगों से अपील है कि खाने को फेंके नहीं। किसी गरीब को खिलाएं। आप जितना खाना फेंकते हैं, उतने खाने से भारत में हर दिन भूखे सोने वाले 20 करोड़ से ज्यादा लोगों का पेट भर सकता है। प्लेट में उतना ही खाना निकालें, जितना आपके पेट में जगह हो। एक बार में ही ज्यादा खाना ना निकालें। कम-कम खाना निकालने से आपके प्लेट में खाना बर्बाद नहीं होगा। वह खाना किसी के पेट में जाएगा। सरकार को भी इस दिशा में गंभीरता से काम करना होगा। हालांकि कुछ संस्थाएं काम तो कर रही हैं, लेकिन उनका काम कम ही नजर आता है।