नई दिल्ली: विरोध प्रदर्शनों और समर्थन के बीच नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून की अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके साथ ही यह कानून प्रभावी हो गया। गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस कानून को लागू करने की तारीख 10 जनवरी, 2020 तय की है। हालाँकि नागरिकता संशोधन कानून का पूर्वोत्तर में जबरदस्त विरोध देखा गया।
कानून के अनुसार, यह असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि ये क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं। इसके साथ ही यह कानून बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन परमिट (आईएलपी) वाले इलाकों में भी लागू नहीं होगा। आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम में लागू है। इनर लाइन परमिट एक यात्रा दस्तावेज है, जिसे भारत सरकार अपने नागरिकों के लिए जारी करती है, ताकि वो किसी संरक्षित क्षेत्र में निर्धारित वक्त के लिए यात्रा कर सकें।
नागरिकता अधिनियम, 1955 में बदलाव करने के लिए केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन बिल लेकर आई। नागरिकता संशोधन विधेयक 10 दिसंबर को लोकसभा और उसके एक दिन बाद राज्यसभा में पारित हुआ था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर को यह कानून बन गया।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में अपने भाषण में दावा किया था कि लाखों-करोड़ों ऐसे लोग हैं जिन्हें इस कानून से फायदा मिलेगा। सरकार की ओर से एक कटऑफ तारीख भी तय की गई है कि 31 दिसंबर 2014 से पहले आए सभी हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी। इसके लागू होने से अब पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी। अभी तक उन्हें अवैध शरणार्थी माना जाता था।