नैनीताल: हाईकोर्ट ने बुधवार को वर्ष 2006 में दक्षिण अफ्रीका टूर के नाम पर जाने व सरकारी धन का दुरूपयोग किये जाने के मामले में सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने वानिकी और राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन केन्द्र, हल्द्वानी (सीएफडी) को एक सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष हुई।
मामले के अनुसार गाजियाबाद निवासी अधिवक्ता जय प्रकाश डबराल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि वर्ष 2006 में स्टडी टूर के नाम पर तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नव प्रभात, विधायक शैलेन्द्र सिंघल, वन सेवा के तीन अधिकारी डीवीएस खाती, जीएस पांडे व विनोद सिंघल दक्षिण अफ्रीका गये थे। कुछ अधिकारियों के पारिवारिक सदस्य भी इस दौरे पर उनके साथ गये थे। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि टूर के नाम पर जो दस्तावेज जमा किये गये हैं, वे अधूरे थे।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि दौरे पर जाने के लिये सीएफडी की ओर से 20 लाख रूपये की धनराशि आवंटित की गयी जबकि दौरे पर लगभग 6 लाख 88 हजार रूपये खर्च हुए। बाकी धनराशि अलग-अलग किश्तों में वापस की गयी है। अंतिम किश्त दो जुलाई 2012 में लगभग छह साल बाद जमा की गयी है।
याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले की उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग की गयी। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 दिसंबर की तिथि नियत की