देहरादून: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने “उत्तराखंड भर में राहत को लेकर लोगों ने आवाज़ उठायी-कामगारों मज़दूरों की जिम्मेदारी लो सरकार!” को समर्थन देते हुये कहा कि समाज के अन्तिम कोने पर बैठे वर्ग की सरकार मारने पर उतारू है। अक्तूबर में वैज्ञानिकों ने इस स्टर्न के बारे में चेता दिया था, लेकिन सरकार सोयी रही। गावों की बहुत ही बुरी दशा है और सरकारों ने लोगों को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया है।
किशोर उपाध्याय ने कहा कि “आज 11 मई 11 बजे से 12 बजे तक उत्तराखंड में हज़ार से ज्यादा कामगारों के साथ सात विपक्षी दल, राज्य के विभिन्न जन संगठन, और राज्य के बुद्दिजीवियों तक अपने घरों के अंदर ही धरना दिए, इस नारा के साथ – ठप्प मजदूरी, बंद रोजगार, कामगारों मज़दूरों की जिम्मेदारी लो सरकार! राज्य के हर जिला से लोग जुड़ गए थे और लोगों ने अपना पर्सनल फेसबुक पेजके द्वारा भी शेयर किये हैं।”
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उपाध्याय ने कहा कि “पहले राज्य भर में लोगों ने स्वास्थ्य को ले कर आवाज़ उठाई। लेकिन राज्य में बेरोज़गारी और सरकार की नाकामी से भी गंभीर स्थिति बन रही है। काम बंद होने के कारण लाखों दिहाड़ी मज़दूर बेरोज़गार है और दूसरी तरफ एक लाख से ज्यादा उत्तराखंडी युवाओं को राज्य में मजबूरी में वापस लौटना पड़ा है। कोई भी आज कमा नहीं पा रहे हैं। लेकिन लोगों को राहत देने के बजाय सरकार अपना राजस्व बचाने में लगी है। बिजली और पेट्रोल के दाम, दोनों को बढ़ा दिए हैं। अतिरिक्त राशन छोड़ कर कहीं राहत का कोई भी कदम नहीं उठाया गया है।”
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धरना के प्रमुख मांगे:
– पानी और बिजली बिलों को पूरी तरह से माफ़ करे!
– प्रवासी मज़दूरों के लिए निशुल्क राशन की व्यवस्था की जाये!
– मनरेगा के अंतर्गत काम के दिनों को 200 दिन तक बढ़ाया जाये!
– शहरों और पहाड़ों में दिहाड़ी मज़दूर और लौटे हुए उत्तराखंडियों के लिए तुरंत रोज़गार योजना बनाया जाये!
– राज्य में हर मज़दूर या गरीब परिवार को न्यूनतम 6000 रुपये प्रतिमाह सहायता दी जाये!