रुद्रप्रयाग: भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में सबसे अधिक उंचाई पर स्थित हिमवंत केदार वैराग्यपीठाधीस्वर ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट इस वर्ष शीतकाल में छह माह के लिए नौ नवम्बर को बन्द हो गये हैं। बाबा 11 नवम्वर को पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेंगे और अगले छह माह तक यहीं पर आम श्रद्वालुओं को दर्शन देंगे। केदारनाथ यात्रा में इस बार कई रिकॉर्ड बने, केदारनाथ यात्रा के अभी तक के इतिहास को देखें तो इस वर्ष रिकार्ड तीर्थयात्रियों ने बाबा के दर्शन किये। इस बार रिकॉर्ड 7 लाख 32 हजार तीर्थयात्री बाबा के दर पर पहुंचे, जिनमें से 28 मई को एक दिन में रिकॉर्ड 23 हजार 8 सौ 52 तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये।
इस बार केदारनाथ में ठण्ड व हार्ट अटैक से मरने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में भी काफी कमी आयी, तो सडक हादसे भी ना के बराबर हुए। कुछ एक छोटे हादसों को छोड दें तो वाहन दुर्घटना पर भी नियंत्रण रहा। वहीं इस बार भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही सूबे के मुख्यमंत्री राज्यपाल व केन्द्रीय मंत्रियों के साथ ही वाॅलीवुड व उद्योग जगत की कई हस्तियों ने बाबा के दर पर मत्था टेका। इस बार कपाट बन्द होने से पहले से ही बर्फबारी भी शुरु हो गई थी, जिसे पर्यावरण के लिहाज से शुभ माना जा रहा है।
बाबा की चल विग्रह डोली केदारपुरी से चलकर पहली रात्रि रामपुर में विश्राम करने के बाद 10 नवम्बर vको गुप्तकाशी पहुंचेगी और 11 नवम्वर को विधि-विधान के साथ पंच केदार गद्दी स्थल पर विराजमान हो जायेगी। यहां पौराणिक परंपरा है कि, भगवान केदारनाथ का स्वर्ण जडित मुकुट जो कि छह माह ग्रीष्मकाल में बाबा केदारनाथ के मस्तक पर विराजमान रहता है और अब छह माह शीतकाल में यह स्वर्ण मुकुट केदारनाथ के रावल स्वामी भीमाशंकर लिंग महाराज के माथे पर शुशोभित हो जायेगा। यही कारण है कि केदारनाथ के रावल को स्थानीय भाषा में ‘बोलांदा केदार’ के नाम से भी जाना जाता है। अब यह सभी धार्मिक प्रक्रियाएं बाबा की डोली उखीमठ पहुंचने के साथ ही सम्पन्न होंगी।