देहरादून: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वनाधिकार आंदोलन के प्रदेश संयोजक किशोर उपाध्याय ने कहा कि, वनाधिकार के सरोकारों के प्रति उत्तराखंडी आशाओं से ओत-प्रोत भाव रख रहे हैं। कई सुधीजनों ने यह सुझाव दिया है कि आंदोलन के बिंदुओं में, “प्रदेश में तुरन्त चकबंदी हो” को भी जोड़ा जाय। उन्होंने कहा कि, वनाधिकार आंदोलन से जुड़े साथियों की रज़ामन्दी के बाद 12वें बिन्दु के रूप में इसे जोड़ा जा सकता है।
वनाधिकार आंदोलन के प्रमुख बिंदुओं की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश को वनवासी प्रदेश घोषित कर उत्तराखंडियों को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण दिया जाए। जब दिल्ली की सरकार उत्तराखंड के पानी को फ्री में दे सकती है तो प्रदेश सरकार को भी जनता को निशुल्क पानी दिया जाना चाहिए। बताया कि सारे ईंधन के कार्य जंगल से ही पूरे होते थे, इसलिए एक गैस सिलिंडर हर महीने निशुल्क मिलना हमारा हक है। युवाओं के रोजगार के लिए उत्तराखंड में उगने वाली जड़ी बूटियों के दोहन का अधिकार स्थानीय समुदाय को दिया जाए। यदि कोई जंगली जानवर किसी व्यक्ति को विकलांग कर देता है या मार देता है तो सरकार को 25 लाख रुपये का मुआवजा व पक्की सरकारी नौकरी देनी चाहिए। वन अधिकार अधिनियम-2006 को उत्तराखंड में लागू किया जाए और उत्तराखंड को प्रति वर्ष 10 हजार करोड़ ग्रीन बोनस दिया जाए। तिलाड़ी कांड के शहीदों के सम्मान में 30 मई को वन अधिकार दिवस घोषित किया जाए।