बागेश्वर: बागेश्वर वन विकास निगम की घोर लापरवाही का खामियाजा अब मानवीय संवेदनाओं पर भारी पड़ने लगा है। लापपरवाही का आलम यह है कि अब कुमांउ की काशी कहे जाने वाले बागेश्वर शहर के लकड़ी टाल में शवदाह के लिये लोगों को लकड़ियां नहीं मिल पा रहीं हैं।
लोगों का विश्वास है कि पवित्र सरयू और गोमती नदी के संगम तट पर शवदाह कराने से मृत आत्मा को मुक्ति मिलती है। जिसे देखते हुये दूर दूर से लोग मृत आत्माओं की शांति के लिये शवों का दाह संस्कार सरयू-गोमती नदी के संगम में दूर दूर इलाकों से यंहा आते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक शवदाह के लिये 25 से 30 कुंतल लकड़ियों की रोज जरूरत होती है। मगर पिछले एक सप्ताह से लोगों को लकड़ियां नहीं मिल पा रही है। लकड़ियों के लिये लोगों को दो से तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। टाल में काम करने वाले श्रमिकों के मुताबिक एक व्यक्ति के शवदाह के लिये पांच से छह कुंतल लकड़ियों की जरूरत होती है जिसे फिलहाल पूरा कर पाना संभव नहीं है।
उप जिलाधिकारी सदर ने मामले का संज्ञान लिया है। मामले को गंभीर मानते हुये उप जिलाधिकारी ने इसे वन विकास निगम की घोर लापरवही बताया। उन्होंने इस संवेदनशील विषय पर तुरंत कार्रवाई के निर्देश वन विकास निगम को दे दिये हैं।