नैनीताल: उत्तराखंड वन निगम ने वन मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह आरोप बाकायदा हाईकोर्ट में दिए हलफनामा में लगाए हैं। निगम ने मामले में वन मंत्री पर जबरदस्ती हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। इस आरोप के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत की परेशानी बढ़ सकती है। मुख्य न्यायाधीश वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
मामले के अनुसार, कर्मचारियों से सम्बंधित मामले में निगम को हाईकोर्ट से झटका लगा था। जिसके बाद निगम ने विशेष अपील के जरिए दोबारा से हाईकोर्ट जाने का निर्णय लिया। नियमानुसार यह विशेष अपील फैसले के बाद 30 दिनों के भीतर करनी होती है, लेकिन निगम ने यह समयावधि समाप्त होने के बाद की है। देरी से अपील करने का कारण बताते हुए निगम ने हलफनामा भी दायर किया है। इसमे निगम ने कोर्ट से कहा कि, कोर्ट के फैसले के बाद 4 जुलाई 2017 को वन मंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमे निगम के अपील के फैसले को वन मंत्री ने स्थगित कर दिया। जिसके बाद मंत्री के दबाव के चलते समय पर अपील नहीं की जा सकी। निगम के प्रभागी लॉग इन अधिकारी बीडी हरबोला ने यह बात शपथ पत्र में कही है।
वहीँ निगम पर वित्त संकट के बाद 67 के तहत 8 मार्च 2019 को वर्किंग कमेटी की बैठक हुई, जिसके बाद 19 मार्च को निगम के एमडी ने फिर से कोर्ट से विशेष अपील करने का निर्णय लिया। इसी क्रम में निगम की अधिवक्ता सीमा शाह को 30 मार्च 2019 को अवगत कराया गया और 15 अप्रैल को मामला कोर्ट में रखा गया।