बागेश्वर: एआइपीएफ का कहना है कि, केंद्र सरकार भारतीय वन कानून में बदलाव करने जारी रही है, जोकि लोगों को कतई मंजूर नहीं है। 1927 भारतीय वन अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है। जिससे वनों से जुड़े गांव और रीति रिवाज पूरे दाव पर लग जाएंगे और वनों पर आधारित लोगों की रोजी-रोटी पूरी तरह छिन जाएगी। यह बात जन एकता मंच एआइपीएफ से जुड़े लोगों ने सवाल संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहीं गई।
बागेश्वर मुख्यालय में एक गोष्ठी में प्रदेशभर की आंदोलनकारी शक्तियां एकत्र हुई। उन्होंने भारतीय वन अधिनियम 1927 में संशोधन करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि नए वन अधिनियम 2019 लाने की केंद्र सरकार तैयारी कर रही है, जो पहले से खतरनाक है। वक्ताओं ने कहा कि मार्च 2019 में मोदी सरकार ने सभी राज्यों को भारतीय वन कानून 1927 में भारी संशोधन का एक प्रस्ताव भेजा। इसमें राज्यों से सुझाव की मांग कर जुलाई 2019 तक इसे कानून बना देने का संकेत दे दिया गया। जिसको लेकर उत्तराखण्ड प्रदेश की रणनीति, जागरूकता, जनआंदोलन करने की आवश्कता है।