नैनीताल: उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने उत्तरकशी रेप के मामले में जिलाअधिकारी को निर्देश दिए है कि, पीड़ित परिवार को तीन दिन के भीतर पुनर्वासित करें। खण्डपीठ ने अपने पूर्व के आदेश को संसोधित करते हुए मामले की मोंटेरिंग एसआईटी के बजाय एसएसपी/एसपी से करने को कहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार उत्तरकाशी में 12 वर्षीय बच्ची से रेप और हत्या के मामले में कोर्ट ने एक समाचार पत्रो में प्रकाशित समाचारों का स्वतः संज्ञान लिया था । खनदपीठ ने प्रमुख सचिव गृह को निर्देश देते हुए कहा था कि एसआईटी एसएसपी या एसपी के नेतृत्व में बनाई जाए जिसमें सहायक पुलिस अधीक्षक, सीओ, एक महिला इंस्पेक्टर, मनोचिकित्सक, काउंसलर तथा एक महिला सामाजिक कार्यकत्री को सामील किया जाय। खंडपीठ ने सरकार से यह भी बताने को कहा था कि क्या वह प्रदेश में कृषि भूमि अन्य प्रदेशों के लोगों को बेचे जाने पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। खण्डपीठ ने उत्तरकाशी प्रकरण में मृतका के पूरे परिवार को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा था ।खण्डपीठ ने सभी सोशल मिडिया पर रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने, उसका नाम जाहिर करने तथा उसकी धुंधली तस्वीर दिखाए जाने पर सख्ती से रोक लगाने को कहा था। आज सुनवाई के दौरान न्यायमित्र सजंय भट्ट ने खण्डपीठ को अवगत कराया कि पीड़िता का मकान जीर्ण शीर्ण हालात में है वह कभी भी टूट सकता है लिहाजा उनको कहीँ अन्य जगह सिफ्ट किया जाय । मामले को सुनने के बाद खण्डपीठ ने उक्त आदेश पारित किया है