देहरादूनः सरकार की रोक के बावजूद उत्तराखंड के साढ़े तीन लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर हैं। सरकार ने हड़ताल पर रोक लगाने के बाद कर्मचारियों ने नया तरीका अपनाते हुए आवास भत्ते समेत 10 सूत्रीय मांग को लेकर उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक-समन्वय समिति सामूहिक अवकाश पर हैं। इस हड़ताल की खास बात यह है कि आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं, रोडवेज, बिजली, और पानी जैसी जरूरी सेवाओं को आंदोलन से बाहर रखा है। वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हड़ताल पर जाने वोल कर्मचारियों पर नो-वर्क-नो-पे लागू कर दिया है।
एक तरफ सरकार ने कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर रोक लगा दी है। वहीं, दूसरी ओर सामूहिक अवकाश पर गए कर्मचारियों ने पहले ही अवकाश के लिए आवेदन कर दिया है। शासन ने सख्ती दिखाते हुए कोषागार कर्मियों के अनुपस्थित रहने की स्थिति में नो-वर्क-नो-पे लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि उसका ज्यादा असर नजर नहीं आया है।
उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल के सामने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने वार्ता का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से वार्ता की मांग उनके सामने रख दी। इससे एक बात यह भी साफ हो गई कि एक ओर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कह रहे हैं कि वार्ता के दरवाजे खुले हैं। वहीं, दूसरी ओर कर्मचारियों को वार्ता के लिए समय देने का तैयार नहीं हैं।