देहरादून: पंचायत चुनावों में दो से अधिक संतान वालों के चुनाव ना लड़ने वाले फैसले पर उत्तराखंड सरकार को सुप्रीमकोर्ट से भी झटका लगा है। इससे पहले याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को पलट दिया था। जिसके बाद सरकार ने इस सुप्रीमकोर्ट का रुख किया था। जिस पर आज सुनवाई हुई।
नामांकन प्रक्रिया जारी होने के कारण न्यायालय ने सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता की लगातार अपील के बाद भी उनके इस मामले में उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने के आग्रह को निरस्त करते हुए सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया।
वहीँ पंचायत जनाधिकार मंच की तरफ से अधिवक्ता आयुष नेगी ने पक्ष रखते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले से चुनाव प्रक्रिया किसी भी रूप में बाधित नहीं हो रही है, इसलिए इस मामले में उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि, माननीय उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से उत्तराखंड में पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक 2 से अधिक बच्चों के माता-पिता को चुनाव में भागीदारी का मौका मिला है। साथ ही उन्होंने चुनाव प्रत्याशियों से अपील की है कि, अपना नामांकन पूरा करने के बाद 25 से 27 सितंबर के बीच नामांकन पत्रों की जांच में चौकस रहें। क्योंकि सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि आप लोग चुनाव में भागीदारी न कर सके।