उत्तराखंड: शिक्षा को व्यापार बनाने का गोरखधंधा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। शिक्षा को व्यापार समझने वाले लोगों पर इस कदर लूट का भूत सवार है कि वह कोर्ट के आदेश को भी नहीं मानते। वहीं इसी कड़ी में आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला देहरादून से संबंध निजी आयुष कॉलेजों द्वारा बढ़ी हुई फीस को लेकर छात्रों का कहना है कि उच्च न्यायालय और विश्वविद्यालय प्रशासन के आदेशों को ना मानने के मामले में विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील जोशी ने शासन को पत्र लिखकर उचित कार्यवाही करने के लिए कहा है। बावजूद इसके शासन की ओर से कोई कार्यवाही ना होने से नाराज निजी मेडिकल कॉलेजों के छात्र पिछले कई दिनों से परेड ग्राउंड पर भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।
पढ़ाई और पैसों का नुकसान झेल रहे छात्रों ने मांगों को नहीं माने जाने पर आमरण अनशन शुरू कर दिया। ऐसे में समझा जा सकता है, कि शिक्षा व्यवस्था किस कदर बत से भी बदतर हो चुकी है। देश का भविष्य कहे जाने वाले छात्रों को अपने ही अधिकारों के लिए पढ़ाई छोड़ कर आमरण अनशन पर बैठना पड़ रहा है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि फिर भी कोई उनकी आवाज को सुनने वाला नहीं।
वहीँ इन छात्रों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, राज्य सरकार के आयुष मंत्री हरक सिंह रावत और पतंजलि योगपीठ के बाबा रामदेव के दबाव में शासन निजी मेडिकल कॉलेजों पर कार्यवाही करने से हिचक रहा है। क्योंकि इन तीनों लोगों के मेडिकल कॉलेज हैं। यही कारण है कि सरकार के लिए बच्चों के हित मायने नहीं रखते।