देहरादून: उत्तराखंड में बेहतर स्वास्थ्य उपचार देने के लिए बना एम्स अस्पताल ऋषिकेश की अनदेखी का मामला तब सामने आया जब मसूरी की एक महिला को हार्ट अटेक पड़ा। महिला की माली हालात इतनी ख़राब थी की आस् पडोस के लोगों ने चंदा इकठा करके उसे ऋषिकेश एम्स में पहुचाया लेकिन चिकित्सकों ने ईलाज करने के बजाय उसे वापस भेज दिया।
आपको बतादें कि महिला को परिजन अचेत अवस्था में एम्स अस्पताल ऋषिकेस ले गये। जहाँ पर डाक्टरों ने उनसे पैसे जमा करने को कहा जब उन्होंने आपनी आप बीती सुनाया तो मौजूद चिकत्सकों ने हाथ खड़े कर दिया और बेहोश पड़ी महिला को घर वापस ले जाने को बोल दिया ।साथ गये पीडिता का पति मायूस हो गया और अपनी पत्नी को अम्बुलेंस से मसूरी ले आया। परिजनों ने बताया की एम्स में मौजूद डाक्टरों ने वेंटिलेटर ना होने का बहाना बनाया व उनको इलाज ना करने की बात करदी है।जिस कारण महिला आज भी जिन्दगी व मौत के बीच लटकी हुई है। वहीं उन्होंने बताया कि टेस्ट में ही उनकी जमा पूंजी व कई लोगों ने चंदा के रूप में दिया 22 हजार रूपये खर्च हो गये ।गरीब पति को बताया गया की अस्पताल में एक ही वेंटीलेटर है जो किसी अन्य प्राइवेट का है।
इसमें जब हमने अस्पताल के पीआरओ से फोन पर जानकारी ली की एम्स में कितने वेंटीलेटर है और कितनी ओ पी डी है तो चोंका देने वाली हकीकत सामने आई जिसमे जानकारी दी गई की 60 से अधिक वेंटीलेटर हे और लगभग चार हजार से अधिक ओ पी डी है।
वंही पीड़िता के पति ने कहा कि मैं बहुत गरीब हूँ चंदा करके एम्स गया था।जहाँ 4 दिन रखने के बाद अचेत अवस्था में निकाल दिया।इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की सरकारी अस्पतालों में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है जिसका उदाहरण आपके सामने हे।