उत्तराखंड हाई कोर्ट: राज्य सरकार द्वारा पत्रकारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के निर्देश, मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोपों की जांच करे CBI, नरेन्द्रे सिंह नेगी द्वारा करप्शन पर लिखी गए लोकगीतों का भी आदेश में वर्णन
नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पत्रकार उमेश शर्मा व अन्य के खिलाफ राजद्रोह मामले में उत्तराखंड सरकार द्वारा दर्ज FIR समाप्त करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा हाई कोर्ट ने इस मामले में सीएम पर लगाए गए आरोपों की सत्यता की परख के लिए देहरादून में एसपी सीबीआई को भी एफआईआर दर्ज करके जांच करने के आदेश दिए हैं।
न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने पत्रकार उमेश शर्मा व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा खबर चलाए जाने को लेकर उनके ऊपर IPC की धारा 420, 467, 468, 469, 471 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने भी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर रखा था।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार उमेश शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। एक मामले में सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
याचिकाकर्ता उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट में कहा था कि प्रो. हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने रुपये जमा किए और यह रकम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा था। वीडियो में डॉक्टर सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया है।
शिकायतकर्ता के मुताबिक, ये सभी तथ्य असत्य हैं और उमेश शर्मा ने बैंक के खातों की जानकारी और जिन कागजात की बात कही है, उन बैंक खातों की सूचना गैरकानूनी तरीके से प्राप्त की थी। वहीं जस्टिस रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के फैसले में साफ लिखा है कि इस याचिका में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। राज्य के हित में भी यही होगा कि इस बारे में सच्चाई सबके सामने आए। सीबीआई मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू करे, ताकि आरोपों की जांच करके सच्चाई की तह तक पहुंचा जा सके। जांच होगी तभी आरोपों की सच्चाई सामने आ सकेगी।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने अपने आदेश में करप्शन को लेकर भी सख्त टिपणी की है। अपने आदेश में लिखा है कि भ्रष्टाचार एक ऐसा खतरा है, जो जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे समाज ने इसे सामान्य कर दिया है।
उन्होने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि लोक गायक नरेन्द्रे सिंह नेगी द्वारा लिखी गए लोकगीत लोगों की धारणा को दर्शाता है। मानो भ्रष्टाचार जीवन का एक हिस्सा है। अपने आदेश में न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने नरेन्द्रे सिंह नेगी द्वारा लिखी गए दो गानों के अर्क भी दोहराए है जो करप्शन को लेकर है।