देहरादून: ऊर्जा के तीनों निगमों में अब भ्रष्टाचार के प्रति सख्ती अपनाई गई है। ऊर्जा निगमों में चल रहे जांच के मामलों में सरकार ने तमाम प्रकरणों में जांच पूरी कर दस कार्य दिवसों में रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। जांच रिपोर्ट तय समय पर मुहैया कराने का जिम्मा प्रबंध निदेशकों को सौंपा गया है। साथ ही जांच रिपोर्ट नहीं मिलने पर प्रबंध निदेशकों पर भी कार्यवाही हो सकती है।
बता दें कि, ऊर्जा विभाग खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है। ऐसे में अब मुख्यमंत्री के सख्त रुख को देखते हुए शासन ने ऊर्जा के तीनों निगमों में अनियमितता के मामलों की जांच में हीलाहवाली पर तेवर कड़े कर लिए हैं।
दरअसल, शासन स्तर से तीनों निगमों में अनियमितता के मामले सामने आने पर जांच के निर्देश दिए गए थे। ऊर्जा सचिव राधिका झा ने तीनों निगमों ऊर्जा निगम, पारेषण निगम और जलविद्युत निगम के प्रबंध निदेशकों को ऐसे प्रकरणों की जांच कर समय पर रिपोर्ट देने को कहा था। लेकिन उक्त आदेशों पर अमल नहीं हुआ, विभिन्न मामलों में न तो जांच पूरी की गई और न ही कोई दंडात्मक कार्रवाई की गई।
ऐसे में अब ऊर्जा सचिव ने तीनों प्रबंध निदेशकों को अनियमितता संबंधी विभागीय जांच के प्रकरणों पर जांच पूरी कर दस दिन में स्पष्ट निष्कर्ष व कार्यवाही समेत रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सख्त लहजे में आदेशित किया कि, ऐसा नहीं होने पर विभागीय जांच में ढिलाई के लिए प्रबंध निदेशकों को दोषी माना जाएगा।
वहीँ अभी तक कई बड़ी अनियमितताओं की जाँच नहीं हो पाई है, जिनमे सोलर प्लांट घोटाला, फर्जी दस्तावेजों के जरिये प्रमोशन जैसे सवालों की जाँच के सम्बन्ध में कोई कदम नहीं उठाया गया है। हालाँकि एमडी स्तर के मामलों में आदेश पारित किया गया है। लेकिन यह बड़ी जांचे जो शासन स्तर पर होनी हैं, उनके सम्बन्ध में फैसला लेना ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।