नैनीताल: पूर्व में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि उसने उपनल कर्मियों के नियमितिकरण के लिए क्या निति बनाई है। कोर्ट ने इस प्रकरण पर सरकार को दो सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए थे। कोर्ट के आदेश के क्रम में सरकार की ओर से बताया गया की इस प्रकरण पर विचार किया जा रहा है और इस पर 2 सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाएगा। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि इस संबंध में लिए गए निर्णय को कोर्ट के समक्ष पेश करे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार कुंदन सिंह नेगी ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र भेजकर उपनल द्वारा की जा रही नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग की है। जिसका हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया है। याचिका में कहा गया कि उपनल का संविदा लेबर एक्ट में पंजीकरण नही है इसलिए यह असंवैधानिक संस्था है। उपनल का गठन पूर्व सैनिको व उनके आश्रितों के लिए हुआ था लेकिन राज्य सरकार ने इस संस्था को आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के नियुक्ति का माध्यम बना दिया है। जिस पर पूर्ण नियंत्रण राज्य सरकार का है। याचिका में उपनल कर्मियों के समाजिक व आर्थिक स्थिति को देखते हुए भविष्य के लिए निति बनाने की मांग की। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार से पूछा था कि उपनल कर्मियों के नियमतिकरण के लिए सरकार ने अभी तक क्या निति बनाई है। अधिवक्ता एमसी पंत की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि कर्मचारियों की ओर से जब याचिका दायर की थी तो सरकार उनको एक दिन का फिक्सनल ब्रेक दिया जाता है। जिससे उनकी नियमित नियुक्ति ना हो सके। कोर्ट ने सरकार को ऐसा कोई ब्रेक ना देने को कहा।