देहरादून: बेरोजगारी का स्तर राष्ट्र में प्रदूषण के समान बढता ही जा रहा है। प्रदेश में भी बेरोजगारी की समस्या के चलते युवाओं का सब्र का बाँध टूटता सा नजर आ रहा है । ऐसा ही कुछ नजारा सोमवार को राजधानी दून में देखने को मिला, जब बेरोजगार संघ के नेतृत्व में पूरे राज्य के बेरोजगार एकत्रित हुए और सभी ने परेड ग्राउंड से सचिवालय तक कूच किया। इन सभी बेरोजगारों की मांगे थी कि, वन उद्यान विभाग, पटवारी और समूह ‘ग‘ जैसे अन्य विभागों में मौजूद सभी रिक्त पदों को शीघ्र भरे जाये, साथ ही विभिन्न विभागों की परीक्षा व भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाये।
इसके आलावा उन्होंने मांगे की है की वन आरक्षी भर्ती में अधिकतम आयु सीमा 28 से बढाकर 42 वर्ष की जाय। एल.टी. व प्रवक्ता के 7,000 रिक्त पदों को 29 दिसम्बर 2016 से पुरानी नियमावली के तहत बहाल किया जाय। हर स्कूल में योग शिक्षक और शारीरिक शिक्षा के पद बहाल हों। बी.एड. और टी.ई.टी. योग्यताधारियों को नियुक्ति दी जाय। ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, जे.ई. तथा ग्रुप 66 की परीक्षाओं की निष्पक्षता से जाॅच की जाए और उत्तराखण्ड की समस्त परीक्षाओं में ओ.लेवल तथा सी.सी.सी की अनिवार्यता खत्म की जाय।
मांगा रोजगार मिले पुलिस के डंडे
प्रदेश में बढती बेरोजगारी को लेकर युवाओं ने सरकार से रोजगार की मांग के चलते शांति पूर्ण ढंग से प्रदर्शन किया, लेकिन इसके बदले उन्हें मिले तो सिर्फ पुलिस के डंडे। इससे युवाओं में काफी आक्रोश है।
पिथौरागढ़ में भी युवा बेरोजगारों ने किया प्रदर्शन
वहीं पिथौरागढ़ में भी बेरोजगारी से परेशान छात्रों ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। रामलीला मैदान से डीएम कार्यालय तक छात्रों ने विशाल रैली निकालकर जोरदार नारेबाजी भी की। छात्र संघ के आह्वान पर प्रदर्शनकारियों ने केन्द्र और राज्य सरकार पर रोजगार के मुद्दे पर निशाना साधा। छात्रों का कहना है कि दोनों ही सरकारें पदों को खत्म करने की साजिश कर रही हैं। जिसकी वजह से आज का युवा बेरोजगार हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आवेदन फीस के नाम पर उनकी जेब काट रही है, लेकिन उन्हें रोजगार नहीं दे पा रही है जो कि गलत है। निकाली गई रैली में बड़ी संख्या में बेरोजगारों ने हिस्सा लिया।
इसके आलावा छात्रों ने कहा कि सरकार रिक्त पदों को भरने के लिये नई विज्ञप्ति नहीं निकाल रही है। पदों को भरने के बजाय पदों को डेड किया जा रहा है और जो फॉर्म भरे गये थे, उन पर परिक्षाएं भी नहीं हो रही हैं। आखिर क्यों प्रदेश के युवाओं के साथ ऐसा किया जा रहा है। छात्रों ने आरोप लगाते हुए कहा कि चुनावों के दौरान सरकार रोजगार देने का वादा तो करती है, लेकिन वो कभी पूरे नहीं हो पाते हैं। जिसकी वजह से बेरोजगार युवाओं को रोजगार की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने सरकार से मांग की कि युवाओं को रोजगार देने की दिशा में काम किया जाए। इस दौरान उन्होंने जिलाधिकारी के मध्यम से सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के नाम एक ज्ञापन भी भेजा।