देहरादून: उमेश कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड सरकार को बड़ा झटका लगा है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उमेश कुमार की पैरवी की। उमेश कुमार के ख़िलाफ़ 2007 में धोखाधड़ी की एफ़आईआर दर्ज हुयी थी। 2007 में हीं साक्ष्य ना मिलने के चलते फ़ाइनल रिपोर्ट लग गयी थी। निशंक के साथ उमेश कुमार के विवाद के चलते 2009 में केस को रीओपेन करके आरोपियों के बयान पर ही बिना कोर्ट की अनुमति लिए ही उमेश कुमार को आरोपी बना दिया गया था। 2014 में उत्तराखंड सरकार ने सेक्शन-321 के तहत अधिसूचना जारी की थी। सरकारी वक़ील ने कोर्ट में वाद वापसी की याचिका दाख़िल की थी। नवम्बर 2018 में उमेश कुमार बनाम सीएम विवाद के बाद इस मामले में कोर्ट से उमेश कुमार की गिरफ़्तारी का वॉरंट ले लिया था।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में न्यायाधीश इन्द्रा बनर्जी और न्यायाधीश आर भानुमती के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि, उत्तराखंड सरकार साज़िश रचकर एक पत्रकार को फंसाने में लगी है। कोर्ट ने पूरे मामले को सुनते हुए इसके ट्राइयल पर रोक लगा दी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट के उमेश शर्मा के अधिवक्ता जयंत मोहन ने हैलो उत्तराखंड न्यूज़ को जानकारी देते हुए बताया कि, मामले में उत्तराखंड सरकार थ्रू एसएचओ रायपुर, वीर कृष्ण शर्मा, अभिषेक शर्मा व मनोरंजनी शर्मा को नोटिस का जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।