देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की प्रथम रिपोर्ट (उत्तराखण्ड के ग्राम पंचायतों में पलायन की स्थिति पर अंतरिम रिपोर्ट) का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश के गावों में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराना, अच्छी शिक्षा और उत्तम स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना सरकार का मुख्य लक्ष्य है। इनके सबके द्वारा पलायन पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सरकार ने शिक्षा का स्तर उठाने के लिए कई कदम उठाए हैं। विद्यालयों में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू करना इनमें से एक प्रमुख कदम है। जिससे न सिर्फ शिक्षा का स्तर ऊंचा उठेगा बल्कि विद्यार्थियों को एक समान शैक्षिक पाठ्यक्रम का अवसर भी मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले 01 वर्ष में प्रदेश में चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार करने के लिए बहुत से कदम उठाए हैं। 01 वर्ष पूर्व जितने डॉक्टर प्रदेश में थे, उससे कहीं अधिक चिकित्सक 01 वर्ष में नियुक्त किए गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू लागू किया गया है और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिये पॉलिसी के स्तर पर कोई परिवर्तन होना है, तो उसका प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार टेली रेडियोलॉजी और टेलीमेडिसिन के द्वारा दुर्गम और दूरस्थ स्थानों को उन्नत चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में आगे बढ़ रही है। अभी प्रदेश के 37 अस्पताल टेली रेडियोलॉजी/टेलीमेडिसिन से जुड़ चुके हैं। दूरस्थ क्षेत्र के अस्पतालों को दून अस्पताल, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, अपोलो हॉस्पिटल और यहां तक की विदेशों के डाक्टरों से भी सीधे जोड़ा गया है। पिथौरागढ़ में विश्वस्तरीय आईसीयू स्थापित कर दिया गया है। उत्तरकाशी और चमोली में शीघ्र ही आईसीयू स्थापित किया जाएगा। 01 आईसीयू की स्थापना में लगभग ढाई करोड़ रुपए का खर्चा आ रहा है। लेकिन सरकार हर जनपद अस्पताल में आईसीयू की स्थापना करने हेतु प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के कई कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। पं.दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के 01 वर्ष से भी कम समय के भीतर सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। आजीविका मिशन, मुद्रा योजना, स्टार्टअप प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों का लाभ शीघ्र ही दिखना शुरू होगा। मुख्यमंत्री ने सरकार के द्वारा हाल में ही लागू की गई पिरूल नीति का भी उल्लेख किया और कहा कि इस नीति से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 60 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। महिलाओं को स्वरोजगार देने के लिए ग्राम एलईडी लाइटों की योजना लागू की गई है और शीघ्र ही ग्रोथ सेंटर योजना के अंतर्गत रेडीमेंट गारमेंट प्रशिक्षण का भी कार्य शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के पास पलायन रोकने के लिए एक स्पष्ट विजन है और सरकार इस दिशा में तात्कालिक एवं दीर्घकालिक नीतियां बनाकर आगे बढ़ रही है।
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी ने आयोग की प्रथम रिपोर्ट (उत्तराखण्ड के ग्राम पंचायतों में पलायन की स्थिति पर अंतरिम रिपोर्ट) के विषय में बताया कि उत्तराखण्ड के 7950 ग्राम पंचायतों का सर्वेक्षण जनवरी एवं फरवरी, 2018 में ग्राम्य विकास विभाग के माध्यम से कराया गया। आयोग की टीम ने सभी जिलों का दौरा करके लोगों से ग्राम्य विकास एवं पलायन के विभिन्न पहलुओं पर परामर्श लिया। सर्वेक्षण के अनुसार ग्राम पंचायत स्तर पर मुख्य व्यवसाय कृषि 43 प्रतिशत एवं मजदूरी 33 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 वर्षों में 6338 ग्राम पंचायतों से 3,83,726 व्यक्ति अस्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। यह लोग घर में आते-जाते रहते हैं, लेकिन अस्थायी रूप से रोजगार के लिये बाहर रहते हैं। इसी अवधि में 3946 ग्राम पंचायतों से 1,18,981 लोग स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार ग्राम पंचायतों से 50 प्रतिशत लोगों ने आजीविका एवं रोजगार की समस्या के कारण, 15 प्रतिशत ने शिक्षा की सुविधा एवं 08 प्रतिशत ने चिकित्सा सुविधा के अभाव के कारण पलायन किया है।
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष नेगी ने बताया कि ग्राम पंचायतों से पलायन करने वालों की आयु 26 से 35 वर्ष वर्ग में 42 प्रतिशत, 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 29 प्रतिशत तथा 25 वर्ष से कम आयु वर्ग में 28 प्रतिशत है। ग्राम पंचायतों से 70 प्रतिशत लोग प्रवासित होकर राज्य के अन्य स्थानों पर गए तथा 29 प्रतिशत राज्य से बाहर एवं लगभग 01 प्रतिशत देश से बाहर गए। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 734 राजस्व ग्राम/तोक/मजरा 2011 की जनगणना के बाद गैर आबाद हो गए हैं। इनमें से 14 अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी के 05 किमी के भीतर हैं। राज्य में 850 ऐसे गांव हैं, जहां पिछले 10 वर्षों में अन्य गांव/शहर/कस्बों से पलायन कर उस गांव में आकर लोग बसे हैं। राज्य में 565 ऐसे राजस्व ग्राम/तोक/मजरा हैं, जिनकी आबादी 2011 के बाद 50 प्रतिशत घटी है। इनमें से 06 गांव अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी के 05 कि.मी. के भीतर है। रिपोर्ट के आधार पर 09 पर्वतीय जिलों के 35 विकास खण्ड चिन्हित किए गए हैं, जिनमें आयोग की टीम जाकर लघु/मध्यम एवं दीर्घ अवधि की कार्ययोजना बनाएगी, जिससे बहुक्षेत्रीय विकास तेजी से बढ़ सके।