नैनीताल: अब तक तीन बार हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस रह चुके उत्तराखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश वीके बिष्ट संविधान की व्याख्या और आम जनों की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए खास तौर पर पहचाने जाते हैं।
वर्ष 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को अवैध ठहराने वाली बेंच के जज के रूप में जस्टिस बिष्ट को विशेष ख्याति मिली। उनका निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। जस्टिस बिष्ट तीन बार उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं।
जस्टिस बिष्ट को सिक्किम हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किये जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश से उत्तराखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं में हर्ष है। समाचार मिलते ही जस्टिस बिष्ट को बधाई देने वालों का तांता लग गया।
जस्टिस बिष्ट का जन्म 17 सितंबर 1957 को गढ़वाल के लैंसडौन के सीकू ग्राम में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लैंसडाउन के ही कांसखेत में हुई उन्होंने पौड़ी से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की और इलाहाबाद से संस्कृत में एमए करने के बाद इलाहाबाद विवि से एलएलबी किया। 1984 में जस्टिस बिष्ट यूपी बार बार काउंसिल के सदस्य बने। यूपी में वे इलाहाबाद विवि, हायर सेकेंडरी एजुकेशन, रेलवे, वन निगम इत्यादि के अधिवक्ता व लीगल सलाहकार रहे। उत्तराखंड राज्य की स्थापना होने पर वे उत्तराखंड हाईकोर्ट में आ गए यहां भी वे उत्तराखंड वन विकास निगम, रेलवे आदि के अधिवक्ता रहे। एक जुलाई 2004 को वे सीनियर एडवोकेट नियुक्त किये गए और एक नवंबर 2008 को उत्तराखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हुए।
जस्टिस बिष्ट के पिता स्व. डीएस बिष्ट कांसखेत इंटर कॉलेज से प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए थे, उनकी माता शिवदेवी गृहिणी रहीं। जस्टिस बिष्ट के एक भाई वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी, दूसरे स्वास्थ्य निदेशक व एक भाई आगरा में वरिष्ठ सर्जन व विभागाध्यक्ष रहे।