नैनीताल: हाईकोर्ट ने राज्य में भारतीय दंड संहिता की धारा 438 को प्रभावी बना दिया है। इस आदेश के बाद राज्य की निचली अदालतों को भी अंतरिम जमानत देने का अधिकार मिल गया है। इससे आरोपित को जेल जाने से पहले ही जमानत मिल जाएगी। उत्तराखंड में अब किसी भी अपराध के आरोपित को अंतरिम जमानत के लिए हाईकोर्ट नहीं आना पड़ेगा।
बता दें कि, देश के तमाम राज्यों ने आईपीसी की धारा 438 को प्रभावी बनाया है, मगर उत्तराखंड इसमें शामिल नहीं था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अपील स्वीकार करते हुए यह महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। अधिवक्ता बताते हैं कि अब तक किसी भी प्रकृति के अपराध में आरोपित को गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत अर्जी लगानी पड़ती थी। अब पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद कोई भी आरोपित निचली अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल कर अंतरिम जमानत ले सकता है।