पिथौरागढ़: चीन-नेपाल सीमा से सटी पिथौरागढ़ की ब्यास घाटी के लोगों ने निचले इलाकों के लिए माइग्रेशन शुरू कर दिया है। प्रशासन द्वारा नजंग और लखनपुर के पास लकड़ी के दो अस्थायी पुल बनने के बाद उच्च हिमालयी इलाकों में दर्जनों लोग अब नीचे घाटी में उतरने लगे हैं। हालांकि, इन काम चलाऊं पुलों में रेलिंग बनाने का काम किया जाना है।
बता दें कि लखनपुर-मालपा के बीच भारी भूस्खलन के कारण धारचूला के ऊपरी इलाकों में बसे लोगों का पिछले 6 माह से शेष दुनिया से सम्पर्क पूरी तरह कटा हुआ था इन इलाकों में लोग लम्बे समय से चीन और नेपाल के राशन पर निर्भर थे। सर्दियां शुरू होने के साथ ही इन इलाकों के लोग निचले इलाकों की ओर आने लगते हैं। प्रशासन द्वारा इन अस्थायी पुलों के बन जाने से लोगों को काफी राहत मिली है। दरअसल, अब व्यासघाटी और चीन सीमा पर बसे ग्रामीण इन पुलों के बनने के बाद नजंग से नेपाल होते हुए भारत में प्रवेश करेंगे। स्थानीय प्रशासन ने नेपाल के सहयोग से इन कच्चे पुलों का निर्माण कराया है, जिसके बाद लोग निचले इलाकों का रुख करने लगे है।
वहीं जिलाधिकारी पिथौरागढ़ का कहना है कि ब्यास घाटी के आसपास के इलाकों में जहाँ पर लोगो को आवाजाही के लिए नजंग और लखनपुर में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था वहां पर दो पुल का निर्माण कर दिया गया है, साथ ही नेपाल जाने वाले मार्ग को भी ठीक कर दिया गया है।