देहरादून: लोकसभा चुनाव के नतीजे आने में अभी एक महीना बाकी है, लेकिन नतीजों से पहले ही जीतने-हराने के दावे को लेकर प्रदेश के सियासी दिग्गजों के बीच घमासान शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच सोशल मीडिया पर दिलचस्प जुबानी जंग देखने को मिली।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों ही अपने-अपने दलों की ओर से अन्य राज्यों में चुनाव प्रचार में जुटे हैं। बावजूद इसके दोनों एक-दूसरे को लेकर सियासी चुटकियां और जुबानी घेराबंदी का मौका नहीं चूक रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को राज्य में अब तक पिछले चुनावों में मिली शिकस्त को गिनाया। तो हरदा ने शोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर पलटवार कर दिया।
उन्होंने कहा, गिरते हैं सह सवार ही मैदान-ए-जंग में। मुझे हराने वाले लोगों को आज याद नहीं है, हारने वाला हरीश रावत आज भी लोगों की जुबां पर जिंदा है। मेरी शुभकामना है आप 2022 का चुनाव भेटें, मगर याद रखना आप रिकॉर्ड बुक में जिंदा रहेंगे, मैं इसके बाद भी लोगों की भावना और जुबां में जिंदा रहूंगा। रहा सवाल इस बार के चुनाव का, क्या आप कहीं चुनाव में थे, क्या आपके नाम व काम पर किसी ने वोट मांगा, हरीश रावत भूतपूर्व मुख्यमंत्री इस चुनाव में भी मतदाताओं के मध्य जिंदा था, उसके काम, उसके सोच की चर्चा हो रही थी। खैर भगवान ने चाहा तो आपका घमंड जल्दी टूट जाएगा।
इस प्रहार के बाद अब दोबारा मोर्चा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संभाला। उन्होंने भी फेसबुक पर पूर्व मुख्यमंत्री को आदरणीय हरीश रावत जी के रूप में संबोधित कर पलटवार किया, चुनाव में हार-जीत लगी रहती है, लोकतंत्र में जिताना व हराना जनता के हाथ में है। कहा कि आप लोगों की जुबां पर जिंदा हैं, लेकिन किन कामों के लिए जिंदा है, इसका अहसास आपको जनता 2017 में करवा चुकी है, लोगों के दिलों में कौन कितना जिंदा रहता है, इस बात का फैसला 23 मई को हो जाएगा। आप पर चुनाव का बहुत दबाव रहा होगा। इसलिए बता दूं कि मैंने प्रदेश के करीब करीब हर कोने में 15 दिन में 60 जनसभाएं की और हर जगह जनता का भरपूर प्यार और समर्थन मुझे और मेरी पार्टी को मिला। जहां तक बात अहंकार की है, तो आप मुझे इस बात का जवाब दीजिए कि अहंकारी कौन है, अति आत्मविश्वास में कौन लबरेज था, आपने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को नैनीताल लोकसभा क्षेत्र में रैली करने तक के लिए नहीं बुलाया। अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रति इतना अविश्वास क्यों, बहरहाल आप भी मान चुके हैं कि आप के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आने से आपको फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता। उन्होंने कहा कि जहां तक मेरी सरकार के कामों का सवाल है, उसका आकलन जनता जनार्दन करेगी। आपकी बेचैनी में समझ सकता हूं।