चमोली: विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट निर्धारित तिथि पर आज प्रात: 4 बजकर 30 मिनट ब्रह्म मुहूर्त में खुल गये है। शुक्रवार, जेष्ठ माह, कृष्ण अष्टमी तिथि, कुंभ राशि धनिष्ठा नक्षत्र, ऐंद्रधाता योग के शुभ मुहूर्त पर कपाट खुले। इस अवसर पर सीमित उपस्थिति रही। तथा शोसियल डिसटेंसिंग का पालन हुआ, मास्क पहने गये। कल 14 मई दिन में आदि गुरू शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी सहित रावल जी,श्री उद्धव जी,श्री कुबेर जी एवं गाडूघड़ा (तेलकलश) योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से श्री बदरीनाथ धाम पहुंच गये थे। इस बार सेना के बैंड की सुमधुर ध्वनि, भक्तों का हुजूम, भजन मंडलियों की स्वर लहरियां बदरीनाथ धाम में नहीं सुनायी दी। इस यात्रा वर्ष कोरोना महामारी के कहर का प्रभाव उत्तराखंड के चार धामों पर भी पड़ा है। बदरीपुरी में आश्रम,दुकाने, छोटे-बड़े होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे बंद है। कपाट खुलने के बाद वेद मंत्रों की ध्वनियों से बदरीशपुरी गुंजायमान जरूर हो गयी। तथा मंदिर फूलो की सजावट के साथ बिजली की रोशनी से जगमगा रहा था।
इस यात्रा वर्ष कोरोना महामारी को देखते हुए चार धाम यात्रा शुरू नहीं हो सकी है। केवल कपाट खोले गये हैं। कपाट खुलने को लेकर देवस्थानम बोर्ड ने तैयारियां पूरी कर ली थी। इसी के तहत प्रात: तीन बजे से श्री बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू होने लगी। देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी/सेवादार -हक हकूकधारी मंदिर परिसर के निकट पहुंच गये। श्री कुबेर जी बामणी गांव से बदरीनाथ मंदिर परिसर में पहुंचे तो रावल जी एवं डिमरी हक हकूकधारी भगवान के सखा उद्धव जी एवं गाडू घड़ा तेल कलश लेकर द्वार पूजा हेतु पहुंचे। वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ द्वार पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ तत्पश्चात प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिये गये। श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही माता लक्ष्मी जी को मंदिर के गर्भ गृह से रावल जी द्वारा मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर में रखा गया। श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी बदरीश पंचायत के साथ विराजमान हो गये। कपाट खुलने के पश्चात मंदिर में शीतकाल में ओढे गये घृत कंबल को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। माणा गांव द्वारा तैयार हाथ से बुने गये घृतकंबल को कपाट बंद होने के अवसर पर भगवान बद्रीविशाल को ओढ़ाया जाता है। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही मानवमात्र के रोग शोक की निवृत्ति, आरोग्यता एवं विश्व कल्याण की कामना की गयी। भगवान बदरीविशाल की प्रथम पूजा-अर्चना देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की तरफ से मानवता के कल्याण आरोग्यता हेतु संपन्न की जा रही है। आन लाईन बुक हो चुकी पूजाओं को यात्रियों की ओर से उनके नाम संपादित किया जायेगा। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही मंदिर परिसर में स्थित माता लक्ष्मी मंदिर,श्री गणेश मंदिर, हनुमान जी, भगवान बदरी विशाल के द्वारपाल घंटाकर्ण जी का मंदिर परिक्रमा स्थित छोटा मंदिर तथा आदि केदारेश्वर मंदिर, आदि गुरू शंकराचार्य मंदिर के द्वार खुल गये। माणा के निकट स्थित श्री माता मूर्ति मंदिर तथा श्री भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन के कपाट भी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही खुल गये है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बदरीनाथ स्थित खाक चौक में हनुमान मंदिर के द्वार भी आज खुल गये है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी है। उन्होंने आशा प्रकट की है कि शीघ्र कोरोना महामारी समाप्त हो जायेगी। यथा शीघ्र उत्तराखंड चारधाम यात्रा शुरू होगी तथा तीर्थ यात्री दर्शनों के लिए पहुंच सकेंगे।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर के अनुसार बदरीनाथ धाम के कपाट खुलते ही उत्तराखंड चारधाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। आगे पर्यटन-तीर्थाटन को गति दिये जाने हेतु शासन स्तर पर निरंतर कार्य गतिमान है। कपाट खुलने के अवसर पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी सहित देवस्थानम बोर्ड के प्रभारी अधिकारी बी.डी.सिंह, नायब तहसीलदार प्रदीप नेगी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल,अपर धर्माधिकारी सत्यप्रसाद चमोला, थानाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह, अभिसूचना निरीक्षक सूर्य प्रकाश शाह आदि मौजूद रहे। इस बार श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश के दानी दाताओं के सहयोग से बदरीनाथ धाम को फूलों से सजाया गया । मंदिर से सटे पुराने पुल से लेकर मुख्य मंदिर परिसर तक विभिन्न पुष्पों एवं तोरण द्वार से सजाया गया । श्री बदरीनाथ धाम में लाक डाउन का पूरी तरह लागू है दुकाने, होटल, ढाबे, आश्रम आदि बंद है। निकटवर्ती गांवों बामणी एवं माणा में भी आवाजाही नहीं है। तप्त कुंड, ब्रह्म कपाल तथा स्नान घाट भी शांत है अलकनंदा नदी का धीमा स्वर सुनाई दे रहा है।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने बताया कि कोरोना लाक डाउन के मद्देनजर शोसियल डिस्टेंसिंग सहित सरकारी एडवाइजरी का पालन किया गया। मास्क पहने गये एवं साफ सफाई का ध्यान रखा गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है उत्तराखंड के चार धामों के कपाट खुल चुके हैं जबकि कोरोना महामारी संकट टलने के बाद शीघ्र चारधाम यात्रा शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। बताया कि श्री केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल तथा श्री गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 26 अप्रैल को खुल चुके हैं। द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट कपाट 11 मई को खुल चुके हैं जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 20 मई को तथा चतुर्थ केदार रुद्रनाथ जी के कपाट 18 मई को प्रात: खुल रहे है।