रूद्रप्रयाग: चारधाम सड़क परियोजना से रुद्रप्रयाग शहर का अस्तित्व समाप्त होने जा रहा है। करीब 315 भवन व व्यापारिक प्रतिष्ठान ध्वस्तीकरण की जद में हैं जिसको लेकर प्रशासन ने नोटिस भी जारी कर दिये हैं। नोटिस के बाद कई भवन स्वामी तो स्वयं ही अपने प्रतिष्ठानों को तोड़ रहे हैं। वहीं प्रभावितों ने मांग की है पूर्व में स्वीकृत बद्रीनाथ बाईपास को बनाया जाय जिससे सैकडों परिवारों को बेघर होने से बचाया जा सके।
बता दें कि चारधाम सड़क परियोजना से रुद्रप्रयाग जनपद में सबसे अधिक तिलवाड़ा व रुद्रप्रयाग शहर प्रभावित हो रहे हैं। यहां पर पूरा बाजार ही चौड़ीकरण की जद में है। और जिला प्रशासन ने भवन स्वामियों को नोटिस भी थमा दिये हैं और एक माह के भीतर अपने प्रतिष्ठानों को स्वयं तोड़ने की अपील भी की है। जिसके चलते कई भवन स्वामियों ने अपने भवनों को तोड़ना भी शुरु कर दिया है।
पूर्व में गढ़वाल सांसद व तत्कालीन केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री रहे बीसी खण्डूड़ी ने रुद्रप्रयाग शहर को बचाने के लिए जवाड़ी बाईपास का निर्माण करवाया था। जिसे कि दो चरणों में पूरा होना था। प्रथम चरण में केदारनाथ हाईवे को जोड़ा जाना था और दूसरे चरण में टनल व पुल के जरिये बद्रीनाथ हाईवे को जोड़ा जाना था। प्रथम चरण का कार्य तो पूरा हो चुका है और दूसरे चरण की भी सभी जांचे व प्रशासनिक कार्यवाहियां पूरी हो चुकी हैं। मगर कार्य को रोक दिया गया। अब दूसरे चरण पर कार्य न होकर शहर को चौड़ीकरण में रखा गया है। जिससे प्रभावितों की मांग है कि जब दूसरे चरण की सभी औपचारिक्ताएं पूरी हैं तो फिर बसे बसाये प्रतिष्ठानों को क्यों उजाड़ा जा रहा है।
गौरतलब है कि चारधाम परियोजना का कार्य 2019 तक पूरा होना है ऐसे में प्रशासन भी नहीं चाह रहा है कि टनल व ब्रिज का निर्माण हो जिसमें कि काफी समय भी लगना है। ऐसे में प्रशासन के पास विकल्प के नाम पर शहर को तोड़ना ही बचा है मगर बडा सवाल यह है कि एक ब्रिज व नौ सौ मीटर टनल के जरिये जब सैकडों परिवारों को बेघर होने से बचाया जा सकता है तो फिर सरकार के नुमांइंदे आखिर क्यूं चुप्पी साधे हैं?