अरूण कश्यप :-
हरिद्वार: हरिद्वार जिला शिक्षा अधिकारी ने एक पत्र जारी किया है, जिससे जिलेभर के शिक्षा अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल, हरिद्वार जिला के सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को जारी पत्र में उन्होंने कहा है कि जिले के राजकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में यौन उत्पीड़न के मामलों की रोकथाम के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। इस आदेश की काॅपी सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को जारी भी कर दी गई है। आपको बता दें कि हरिद्वार के जिला शिक्षा अधिकारी पहले भी इस तरह के विवादित पत्र जारी कर चुके हैं।
अब हम आपको बताते हैं कि असल मामला क्या है। जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले में प्राथमिक, जूनियर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेजों के अध्यापकों की ओर से विद्यार्थियों को अपने आवास पर ट्यूशन पढ़ाने के लिए बाध्य किए जाने की शिकायत मिली है। उन्होंने कहा कि ये उचित नहीं है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि अध्यापक छात्रों से अपने घरों को काम भी करवाते हैं। इस तरह की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारियों को जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं।
लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि एक तरफ तो जिला शिक्षा अधिकारी ने पत्र में ट्यूशन को लेकर बच्चों पर दबाव की बात कही है। वहीं, दूसरी तरफ उन्होंने यौन उत्पीड़न का भी जिक्र किया है। हालांकि इस बात पर वो पूरी तरह से कुछ नहीं लिख पाए है। सवाल यह है कि क्या वाकई अध्यापक यौन उत्पीड़न कर रहे हैं? बहरहाल, यह अभी सवाल बना हुआ है। जिला शिक्षा अधिकारी के इस आदेश ने शिक्षा विभाग में एक नई बहस भी खड़ी कर दी है। हालांकि उन्होंने खुद इस बारे में कुछ भी बालने से इंकार कर दिया।