देहरादून: दून पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। फर्जी कंपनी बना कर जमीन के नाम पर एफडी और आरडी बना कर लोगों को ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ पुलिस ने किया है। आपको बता दें कि उत्तराखण्ड को पिछले दिनों गोपनीय रूप से सूचना प्राप्त हो रही थी, कि उत्तराखण्ड, उप्र. एवं दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में कुछ व्यक्तियों द्वारा कम्पनी स्थापित कर जनता से जमीन के नाम पर एफडी/आरडी बनाकर धनराशि दुगना करने का लालच दिया जा रहा है और गिरोह द्वारा भारी संख्या में लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखाधड़ी की जा रही है। इनके द्वारा वेबसाईट बनाकर इस कार्य को प्रचारित-प्रसारित किया गया था, वेबसाईट में लोगों को अपनी कम्पनी के बिजनेस की ग्रोथ को बढ़ाचढा कर लोगों को भम्रित कर अपनी कम्पनी में धन निवेश करने हेतु प्रेरित किया जा रहा था।
इसी परिप्रेक्ष्य में वादी देहरादून निवासी एक व्यक्ति द्वारा साईबर थाने मे युनाईटेड एग्रो लाईफ इण्डिया लि0 कम्पनी के निदेशकों के विरूद्ध लिखित तहरीर दी गई थी, जिसमें जाँच के बाद साईबर थाने में 15 फरवरी को एफआईआर धारा 420, 120बी भादवि एवं 66 आई0टी0 एक्ट में पंजीकृत किया गया है।
इस प्रकरण को एसटीएफ पुलिस अधीक्षक ने गम्भीरता से लेते हुये मामले में त्वरित कार्यवाही करने हेतु साईबर थाने को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये। मामले के लिए गठित टीम द्वारा प्रकरण के सम्बन्ध में गहनता से अभिसूचना संकलन एवं आवश्यक छानबीन की गई, जिसके फलस्वरूप 13 मार्च को थाना पटेलनगर क्षेत्रान्तर्गत एक मकान पर दबिश दी गई, जहां पर पाया गया कि युनाईटेड एग्रो लाईफ इण्डिया लि0 कम्पनी से सम्बन्धित व्यक्तियों द्वारा अपना एक कार्यालय खोला गया था, जिसमें लगभग 9-10 स्थानीय कर्मचारी व कम्पनी के तीन निदेशक कार्य कर रहे थे। पुलिस टीम द्वारा कमरे में उपलब्ध अभिलेखों एवं कम्प्यूटरों का गहनता से परीक्षण किया गया तथा वहां पर कार्य करने वाले कर्मचारियों से पूछताछ की गई, तो ज्ञात हुआ कि इस कम्पनी द्वारा लोगों से जमीन के नाम पर एफ0डी0/आर0डी0 कर धनराशि दुगना करने का प्रलोभन देकर कार्य किया जा रहा है।
अन्य दस्तावेजों का अवलोकन किया गया तो यह मामूल चला कि इनके द्वारा अपनी कम्पनी के अतिरिक्त यूनाईटेड मल्टी ट्रेड प्रा लि, यूनाईटेड-वी टेक डेवलवपर्स लि, यूनाईटेड वी एग्रो प्राड्यूसर्स कम्पनी लि, यूनाईटेड वी म्यूच्वल एस्योरेन्स निधि लि व यूनाईटेड वर्ड मारएक्सपर्ट एण्ड इण्डस्ट्रीज प्रा. लि. नाम की कम्पनियां खोली गई थी। इस सम्बन्ध में कम्पनी के तीन निदेशकों को गिरफ्तार किया गया और कम्पनी के कार्यालय को सीज किया गया।
पुलिस टीम द्वारा पूछताछ करने पर जानकारी हुई कि इनके द्वारा इस प्रकार की कम्पनीयों की 31 ब्रान्चे उत्तर प्रदेश, दिल्ली व उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न शहरों में खोली हुई थी, जिसमें से वर्तमान में 08 ब्राचें बन्द हो चुकी थी। उक्त कम्पनी का मुख्य कार्यालय देहरादून स्थित पटेलनगर में स्थापित किया गया था। इनके द्वारा निवेशको की पुरानी एफडी पूरी होने पर नये निवेशकों की जमा कराई गई धनराशि से कुछ निवेशकों का धन वापस कर दिया जाता था एवं अन्य निवेशकों को बहला फुसलाकर अपनी दूसरी कम्पनियों में धनराशि दुगना-तिगुना करने का लालच देकर निवेश करवाया जाता था। कम्पनी प्रबन्धकों द्वारा धीरे-धीरे अपनी पुरानी कम्पनियों को बन्द कर नई खोल कर उसमें जनता के व्यक्तियों का धन निवेश करवाया जाता था। साथ ही कम्पनी द्वारा जिस जमीन पर एफडी/आरडी के नाम पर धन का निवेश कराया जाता था, उस जमीन के सम्बन्ध में निवेशक को कोई भी ठोस जानकारी नहीं दी जाती थी, बल्कि जमीन के नाम पर बरगलाया जाता था।
दबिश के दौरान मौके पर बरामद दस्तावेजों के सम्बन्ध में भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने पर ज्ञात हुआ है कि, कम्पनी द्वारा उत्तरांचल निक्षेपक (जमाकर्ता) हित संरक्षण अधिनियम 2005 में निहित प्राविधानों का उलंघन किया गया है। साथ ही इस बात की भी सम्भावना है कि सेबी द्वारा क्लेक्टिव इन्वेस्टमेंन्ट स्कीम के अंतर्गत दिये गये दिशा निर्देशों का भी उलंघन हुआ है, जिसके सम्बन्ध में जॉच की जा रही है। यह कम्पनी वर्ष 2010 में स्थापित की गई थी। दस्तावेजों की जाँच किये जाने पर कम्पनी का वर्ष 2017 में लगभग 25 करोड़ रूपये का टर्नओवर होना पाया गया है।