जुगाड टैक्नोलाॅजी से नतीजा ढाक के तीन पात

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रुद्रप्रयाग: आज हम आपको दिखा रहे हैं इंजीनियरिंग की एक अनूठी मिसााल। धरातल पर करोडों रुपये लागत की योजना तो बन गयी और योजना पर पानी चलाने की जुगाड टैक्नोलाॅजी भी सफल रही और अब आपदा मद में फिर से योजना को दुरस्त करने का पैसा भी मिल रहा है। जी हां ये मामला है रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय का जहां पर कि पेयजल किल्लत को दूर करने के लिए पहले से चल रही योजना में पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए दूसरी योजना स्वीकृत हुई। मगर इंजीनियरिंग की मिशाल है कि करोडों रुपये तो खर्च हुए पर नतीजा ढाक के तीन पात।
रुद्रप्रयाग जनपद मुख्यालय पर ग्रीष्म काल में भीषण पेयजल संकट रहता है जिसको लेकर नगर की पेयजल व्यवस्था को दुरस्त करने के लिए पूर्व से संचालित चार इंच की पाइप लाइन योजना के अतिरिक्त एडीवी के सहयोग से करीब डेड करोड रुपये की लागत से दूसरी योजना स्वीकृत हुई जिसे कि आठ इंच की लाइनों से मुख्य टैंक तक पहुंचना था। यहां पर इंजीनियरों व ठेकेदारों ने अपनी कार्य कुशलता का पूरा परिचय दिया और मुख्य टेंक से करीब दो किमी दूर जंगलों में योजना को पुरानी योजना पर ही टेेप कर दिया। जब्कि पेयजल किल्लत को दूर करने के लिए अन्य श्रोत से योजना को जोडते हुए मुख्य टेंक तक पहुंचना था। अपनी खामियों को भी छुपाने में इंजीनियर कितने एक्सपर्ट हैं ये भी सुनाते हैं आपको कि उन्होने मामले को ही बदल कर रख दिया जब्कि हकीकत कैमरे के जरिये साफ है।
वहीँ जिलाधिकारी ने मामले की डृाइंग चेक करने व जांच की बात कही और भरोषा दिलाया कि नगर में पेयजल की किल्लत नहीं होगी। कागजों में योजना पूरी है और हकीकत की तश्बीरें भी साफ हैं अब ऐसे में अन्दाजा स्वयं ही लगाया जा सकता है कि प्रदेश में वाकई बेमिशाल इंजीनियरिंग है।

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