मुंबई : एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर 30 हजार से ज्यादा किसानों ने ठाणे से मुंबई तक दो दिवसीय मार्च शुरू किया है। सुखे के लिए मुआवजे, बिना शर्त ऋण माफी, आदिवासियों के वन अधिकार सौंपे जाने समेत इन किसानों की कई मांगें हैं। यह पिछले आठ महीनों में दूसरा बड़ा किसान आंदोलन है। किसानों का दावा है कि मुंबई के आजाद मैदान में यह प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती है। आठ महीने पहले किसानों ने नासिक से ऐसा ही मार्च शुरू किया था।
मार्च महीने में लेफ्ट पार्टी सीपीएम से जुड़े किसान संगठन ऑल इंडिया किसान सभा के नेतृत्व में हजारों किसानों ने अपनी मांगों को लेकर 180 किलोमीटर लंबे मार्च में हिस्सा लिया था। खबर है कि आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस आंदोलनकारी किसान से मुलाकात कर सकते हैं। किसान चाहते है कि स्वामीनाथन रिपोर्ट को भी लागू किया जाए। स्वामीनाथन रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि जमीन और पानी जैसे संसाधनों तक किसानों की निश्चित रूप से पहुंच और नियंत्रण होना चाहिए। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और इसे लागू करने के वास्ते न्यायिक तंत्र की भी मांग कर रहे हैं।
किसानों ने बुधवार दोपहर से पैदल यात्रा शुरू की। गुरुवार सुबह वे दक्षिण मुंबई में आजाद मैदान पहुंचेंगे और फिर वे विधानभवन के पास प्रदर्शन करेंगे। विधानभवन में अभी राज्य विधानसभा का सत्र चल रहा है। मार्च में हिस्सा लेने वालों में अधिकतर लोग ठाणे, भुसावल और मराठवाड़ा क्षेत्रों से हैं। इससे पहले भी किसान आन्दोलन कर चुके हैं। किसानों ने कहा कि इस बार वो ठगे नहीं जायेंगे।
किसान कृषि संकट से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और राज्य में बीजेपी नीत सरकार द्वारा पिछले साल घोषित कर्ज माफी पैकेज को उचित तरीके से लागू करने, किसानों के लिए भूमि अधिकार और खेतिहर मजदूरों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन का आयोजन कर रहे लोक संघर्ष मोर्चे की महासचिव प्रतिभा शिंदे ने कहा कि हमने राज्य सरकार से लगातार कहा है कि वह लंबे समय से चली आ रही हमारी मांगों को पूरा करे लेकिन प्रतिक्रिया उदासीन रही है।