जेशीमठः बैकुंठ बदरीनाथ धाम की वह पावन जगह है जहां पर तुलसी की सुगंध से भगवान नारायण का मन मोह उठा था। यहां की मंद आबोहवा से भगवान नारायण यहीं मां लक्ष्मी के साथ बस गए थे। मान्यता है कि यहीं पर भगवान नारद ने भगवान नारायण की तपस्या की थी, लेकिन अब यह शुद्ध आबोहवा धीरे-धीरे सीवरेज की गंदगी से जहरीली होती जा रही है।दरअसल प्रशासन और श्रीनगर गंगा प्रदूषण ईकाई ने बदरीनाथ धाम में हो रही गंदगी के निवारण के लिए यहां पर एक बड़े सीवर प्लांट को बनवाया, लेकिन अब यह तरक्की यहां के स्थानीयों के साथ ही इस पावन भूमि के लिए जी का जंजाल साबित हो रही है।अलकनंदा और ऋषि गंगा के संगम पर सीवर प्लांट बन कर तैयार हो चुका है। जिसके कारण अब क्षेत्र के आस-पास के मठ-मंदिरों में साधु-संतों के साथ-साथ बामणी गांव के लोगों का रहना मुश्किल हो गया है।बता दें कि इस टैंक के आस-पास हनुमान मंदिर, कुबेर मंदिर, मां नंदा और माता उर्वसी का मंदिर स्थापित है। जिससे यहां दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को दुर्गंध से दो चार होकर दर्शन करने को तो छोड़ गंदी सांस लेने को भी मजबूर होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं इस धाम में सीवर प्लांट के बनने से जहां एक ओर गांव वालों और श्रद्धालुओं को दुर्गध का सामना करना पड़ रहा है, वहीं तुलसी और उसकी खुशबू को लेकर विख्यात क्षेत्र की शुद्ध हवा में सीवर की दुर्गंध फैल रही है। जिसके कारण अब तुलसी की खुशबू भी यहां से धीरे-धीरे गायब होने लगी है। हालांकि यह प्लांट अभी अपने शुरूआती दौर में है, लेकिन धीरे-धीरे दुर्गन्ध से स्थानियों और श्रधालुओं के क्या हाल होंगें, इसका अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं। वहीं जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकार गंगा संरक्षण, प्रदूषण मुक्त बनाने के ख्वाब संजोए हुए है, उसके लिए बनाया गया यह सीवर प्लांट स्वच्छ गंगा और अविरल गंगा के लिए एक पलीता साबित होता है।सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जो बदरीनाथ धाम चारों धामों में से विश्व विख्यात है उसकी यह हालत है। भला अब ऐसे में कैसे श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन को आयेंगे?इस प्लांट को कंचनमाला के पास बनना निर्धारित हुआ था, लेकिन यह प्लांट वहां न बनाकर ऋषि गंगा के संगम पर बना दिया गया जो अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल है?वहीं जब हैलो उत्तराखंड न्यूज ने बदरी केदार समिति अध्यक्ष गणेश गोदियाल से इस बाबत पूछना चाहा तो उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि यह मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं है और अब वो इस मामले में जानकारी लेंगे। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि यह प्लांट बदरीनाथ मंदिर के मात्र 150 मीटर की दूरी पर ही बनाया गया है तो फिर अध्यक्ष जी को इसके बारे में भनक तक भी कैसे नहीं? जो अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।देखा जाए तो अध्यक्ष जी बदरी केदार समिति की साख बचाने के लिए तो कोर्ट से भी लड़कर अपना हक वापस ले आए, लेकिन उनके ही आस-पास क्या हो रहा है उनको इसकी भनक नहीं।To Be Continued…