रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जिले की केदारघाटी में निर्माण ऐजेन्सियां जमकर कायदे कानूनों की धज्जियां उडा रहे हैं। आपदा पुर्ननिमार्ण कार्यों की आड में जमकर अवैध खनन किया जा रहा है। नदियां पत्थर व रेत विहीन हो गयी हैं तो चट्टानों पर भी खुलेआम पत्थरों को निकालने का काम जेसीबी मशीनों के जरिये चल रहा है।
जनपद में अभी खनन का कोई भी पट्टा स्वीकृत नहीं है और पूरे जिले मे सरकारी व गैरसरकारी निर्माण कार्य चल रहे हैं। ऐसे में बडा सवाल यह है कि जब खनन के पट्टे स्वीकृत नहीं हैं तो कहां से निर्माण सम्बन्धी रॉ-मैटिरियल आ रहा है। यह नहीं कि प्रशासन को इस बारे में जानकारी न हो, मगर इतने बडे स्तर पर अवैध खनन हो रहा है और प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद जिले का नदी तटीय इलाका पूरी तरह से तहस-नहस हो गया था जिसका पुर्ननिर्माण कार्य तब से लेकर आज तक भी जारी है। ऐसे में खनन के सरकारी पट्टे आवंटिन ना होने से सरकार के खजाने को तो चूना लग ही रहा है वहीं खनन माफियाओं का अवैध धन्घा भी जोरों पर फल-फूल रहा है।
जिलाधिकारी मंगेश धिल्डियाल का कहना है उन्हें अवैध खनन होने की जानकारियां मिली थी और सम्बन्धित एसडीएमओं को कार्यवाही के निर्देश भी दिये गये हैं। साथ ही अगर नदियों में इस तरह से सीधे खनन किया जा रहा है तो इस पर कडी कार्यवाही होगी। जल्द ही जनपथ में खनन के सरकारी पट्टे आवंटित कर दिये जायेंगे जिससे अवैध खनन पर रोक लग पायेगी।