देहरादून: महंत इन्दिरेश अस्पताल के नाक काना गला रोग विभाग के डाॅक्टरों ने एक बच्चे की श्वास नली में फंसे खिलौने को निकालकर बच्चे को नया जीवन दिया है। बच्चे ने खाने के दौरान अनजाने में प्लास्टिक का खिलौना निगल लिया था, जिससे खिलौना बच्चे की श्वास नली में अटक गया था। इस तरह के खिलौने आजकल स्नेक्स के पैकेटों में निकलते हैं जो कि विशेषकर छोटे बच्चों को काफी आकर्षित करते हैं।
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रोहित (उम्र 6 वर्ष) पुत्र राजू निवासी चाॅंदा, त्यूनी ने कुछ दिन पूर्व चिप्स के पैकेट में निकलने वाले खिलौने को अचानक निगल लिया था, जिससे बच्चे को सांस लेने में काफी परेशानी होने लगी। इससे घबराकर बच्चे के माता पिता तुरन्त उसे लेकर महंत इन्दिरेश अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के नाक कान गाल रोग की विभागाध्यक्ष डाॅ त्रिप्ती ममगाई ने दूरबीन से जाॅच पाया कि बच्चे की सांस नली में खिलौना फंसा हुआ। अतः डाॅक्टरों ने बच्चे के माता पिता को शीघ्र ऑपरेशन करवाने की सलाह दी।
ऑपरेशन के दौरान बच्चे को बेहोश करके सांस की नली में फंसे खिलौने की दूरबीन विधि द्वारा निकाला गया एवम् बच्चे की जान बचाई गई। डाॅ त्रिप्ती ने जानकारी दी कि यह बेहद जटिल ऑपरेशन रहा क्योंकि बच्चे की सांस की नली में फंसा खिलौना आकार में काफी बड़ा था, इससे सांस की नली में सूजन आ चुकी थी व सांस लेने का रास्ता कम हो गया था। समय रहते खिलौना न निकालने से बच्चे की जान को खतरा हो सकता था। ऑपरेशन को सफल बनाने में ईएनटी विभाग के अन्य डॉक्टरों, डाॅ अपूर्व कुमार पाण्डे, डाॅ एजाज उल हक, डाॅ पल्लवी कठैत एवम् एनेस्थीसिया विभाग के डाॅक्टरों का भी योगदान रहा।
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ईएनटी की विभागाध्यक्षा डाॅ त्रिप्ती ममगाईं ने बताया कि आजकल कोरोना समय में जबकि लोग एवम् बच्चे घरों के अंदर हैं, छोटे बच्चों पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। आजकल अस्पताल की इमरजेंसी में बच्चों द्वारा सांस/खाने की नली में वस्तुएं निगलने के मामले सामान्य दिनों की तुलना में काफी बढ़ गए हैं। माता पिता बच्चों को ऐसे खिलौने कतई न दें जो खेल खेल में उनकी जान को जोखिम में डाल दें। ऐसे मामलों में अभिभावकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्णं है। ऐसे खतरनाक खिलौने को बच्चों की पहुंच से दूर रखें, जिन्हें बच्चे मूंह से बजाने या चबाने की कोशिश करते हैं।
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