कृष्णपाल सिंह रावत: –
थत्यूड़: सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लाख दावें करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया करती है। दरअसल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थत्यूड जो धनोल्टी विधान सभा क्षेत्र के जौनपुर विकास खंड मुख्यालय थत्यूड में स्थित है, यहां ये अस्पताल खुद बदहाली का रोना रो रहा है। यहां अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की लाचारी के चलते मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बता दें कि जौनपुर विकासखंड थत्यूड के एक मात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करोडों की लागत से बना है। इस स्वास्थ्य केंन्द्र पर जौनपुर विकासखंड के तकरीबन 80 ग्राम पंचायतों के करीब 38 हजार लोगों के बेहतर स्वास्थ्य उपचार की जिम्मेदारी है। जिस कारण इस अस्पताल को पीएसी से सीएचसी में तब्दील कर दिया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देना था। लेकिन अब विभाग की लाचारी के चलते इस अस्पताल में आईसीयू भी नहीं है। वहीं अस्पताल में 11 पद चिक्तिसकों के स्वीकृत है। लेकिन वर्तमान समय में इस अस्पातल में मात्र दो डॉक्टर ही नियुक्त है। जबकि अस्पताल में एक्स-रे टैक्नीशियन व अल्ट्रासाउंड ना होने के कारण मशीनों पर जंग लग चुका है। यहां 80 ग्राम पंचायतों के लोगों को हर छोटी-बड़ी बिमारी या किसी भी दुर्घटना के समय सीधे देहरादून स्वास्थ्य उपचार के लिये जाना पड़ता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि थत्यूड सीएससी की अव्यवस्थाओं के कारण गरीब लोगों को स्वास्थ्य लाभ के लिये देहरादून जाना पड़ता है। वहीं प्रसव के दौरान भी महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि महिला चिक्तिसक ना होने से प्रत्येक डिलिवरी के लिये यहां मजबूरन उन्हें देहरादून जाना पड़ता है।
वहीं चौंकाने वाली बात यह है कि कागजो में अस्पताल में 8 डॉक्टर्स कार्यरत है। लेकिन इन 8 डॉक्टरों ने कभी अस्पताल में आने की जहमत नहीं उठाई। वहीं मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग से लेकर सरकार को भी इस विषय में अवगत कराया गया लेकिन अब तक कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की गई।
मामले को लेकर सोबत सिंह रावत का कहना है कि पूर्व में अस्पताल पीपीपी मोड में था लेकिन सुचारू रूप से संचालन ना होने के कारण जनता की माँग पर इसे सीएससी में तब्दील कर दिया गया। जिससे आम जनता को इसका फायदा मिल सके लेकिन बावजूद इसके अस्पताल की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। वहीं सरकार की अनदेखी के कारण लोगो में सरकार और जिला प्रशासन के प्रति भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर जल्द अस्पताल की हालत को दुरस्त करने के साथ ही खाली पड़े पदों को नहीं भरा जाता है तो जनता सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर कर इसके खिलाफ उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगी।