देहरादून: थाना डालनवाला के अंतर्गत 20 अप्रैल को वादी उदय सिंह जायसवाल पुत्र अमर सिंह निवासी बद्रीश कॉलोनी देहरादून द्वारा एसआईटी (भूमि) में एक प्रार्थना पत्र जांच हेतु दिया गया, जिसमें बताया गया कि उनके द्वारा यूको बैंक, शाखा बसंत बिहार में लोन के एवज में बंधक एक संपत्ति, जो न्यू रोड, देहरादून में स्थित थी, अंकुर नाम के एजेंट के माध्यम से खरीदी। अंकुर द्वारा भूमि के स्वामी दिनेश नेगी तथा बैंक मैनेजर के साथ मिलकर वादी को बताया कि उक्त संपत्ति जनवरी 2017 से यूको बैंक में बंधक है तथा संपत्ति के स्वामी दिनेश नेगी लोन चुकाने में असमर्थ है तथा प्रार्थी को उक्त संपत्ति पर लोन चुकाकर उक्त संपत्ति क्रय करने के लिए उत्प्रेरित किया। दिसंबर 2017 में वादी द्वारा रुपए 20 लाख 35 हजार रूपये आरटीजीएस के माध्यम से दिनेश नेगी के लोन खाते में तथा रुपए 2 लाख 15 हजार चेक के माध्यम से दिनेश नेगी को विक्रय प्रतिफल के रूप में दिया गया।
मार्च 2018 में जब वादी द्वारा उक्त जमीन के म्यूटेशन हेतु नगर निगम में आवेदन किया गया, तो दिनेश नेगी के भाइयों व परिजनों द्वारा उक्त संपत्ति पर अपना हक बताकर आपत्ति लगाई गई, जबकि उक्त संपत्ति को अप्रैल 2015 में दिनेश नेगी को उसके भाइयों व अन्य के द्वारा विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय किया गया था। इस दौरान उनके द्वारा उक्त संपत्ति में से कुछ भाग को दिनेश नेगी व उसके परिजनों द्वारा जुलाई 2017 में अपने छोटे भाई को उपहार पत्र में दिया जाना दर्शाया गया, जबकि उक्त संपत्ति पर दिनेश नेगी द्वारा जनवरी 2017 में यूको बैंक की शाखा से लोन लिया गया था तथा इस दौरान जमीन के संबंध में कोई उपहार पत्र नहीं हो सकता था। इस प्रकार दिनेश नेगी के द्वारा यूको बैंक के मैनेजर व एजेंट तथा अपने परिजनों के साथ मिलकर प्रार्थी के साथ धोखाधड़ी कर अपना बैंक लोन समाप्त करा लिया व अब वादी की क्रयशुदा संपत्ति से वंचित करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस दौरान जब वादी क्रय की गई संपत्ति पर गया तो दिनेश नेगी के बड़े भाई राकेश नेगी व अन्य के द्वारा वादी को डराया धमकाया गया व जान से मारने की धमकी दी गई। वादी द्वारा दिये गए प्रार्थना पत्र पर एसआईटी की जांच के उपरांत वादी द्वारा अंकित किये गए तथ्य सत्य पाए जाने पर गुरूवार को थाना डालनवाला में मुकदमा अपराध संख्या 199/18 धारा 420/467/468/506/120बी भादवि बनाम दिनेश नेगी व अन्य पंजीकृत किया गया, जिसमें विवेचना प्रचलित है। विवेचना के दौरान प्रकाश में आने वाले तथ्यों के आधार पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।