नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से नामांकन दायर करने वाले बीएसएफ के बर्खास्ता जवान तेज बहादुर यादव को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। दरअसल चुनाव आयोग ने तेज बहादुर यादव के नामांकन को जरूरी दस्तावेजों को जमा नहीं करने के चलते निरस्त कर दिया था। आयोग के इसी निर्णय के खिलाफ तेज बहादुर यादव सुप्रीम कोर्ट चले गए थे।
तेज बहादुर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ‘जो दिख रहा है, मामला उससे कहीं ज्यादा है। खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाने पर तेज बहादुर को प्रताड़ित किया जा रहा है। इससे वे लोग नाराज हैं।’ भूषण की दलील पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अदालत को उनकी अर्जी में कोई मेरिट नहीं दिखाई दे रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘एक सीमा के बाद हम चुनाव आयोग के फैसले में दखल नहीं दे सकते।’
दरअसल 2016 में बीएसएफ में खाने की कथित खराब गुणवत्ता का एक वीडियो तेज बहादुर यादव ने सोशल मीडिया पर डाला था जिसके बाद वह सुर्खियों में आए थे। तेज बहादुर की इस शिकायत की जांच हुई जिसके बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। तब से वह लगातार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
लोकसभा चुनाव में तेज बहादुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया और बाद में उन्हें समाजवादी पार्टी ने भी अपना समर्थन दे दिया। लेकिन जरूरी दस्तावेजों को जमान नहीं कराने के चलते रिटर्निंग ऑफिसर ने तेज बहादुर का नामांकन रद्द कर दिया था। आयोग के इस निर्णय के खिलाफ तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। तेज बहादुर ने इसे साजिश करार देते हुए कहा था, ”मैंने सभी जरूरी दस्तावेज सौंपे हैं लेकिन यह सब मुझे चुनाव लड़ने से रोकने के लिए किया जा रहा है। यह मेरे खिलाफ एक साजिश है। मोदी जी डर गए हैं और यह सोच-समझकर किया गया है।’