देहरादून: उत्तराखण्ड की टैक्सीयां अब गाड़ी मालिकों का सहारा छोड़कर लौकी, कद्दू की बेल के सहारा ही बन कर रह गयी हैं। मार्च से अभ तक खड़ी गाड़ियों से मालिकों ओर चालकों का पैसे के बिना बुरा हाल हो गया है। गाड़ियों पर घास जम गया है।
मालिक लोग दर दर भटक रहे हैं और एक एक पैसे के बिना तरस रहे हैं। साथ साथ अब बैंक भी गाड़ियों की किस्तों के लिए फ़ोन करने लगे है। लोगों पर गाड़ियों को बैंकों पर खड़ी करने की धमकियाँ भी देने लगे हैं।
गाड़ी मालिकों का कहना है कि क़िस्त कहाँ से दें, “अभी घर का खर्चा चलाने के लिए कुछ नही बचा।”
वहीं सुन्दर सिंह पंवार (अध्यक्ष उत्तराखण्ड टैक्सी मैक्सी महासंघ) का कहना है कि मेरे ट्रांसपोटर्स भाइयों की हालात बिन पैसे की बहुत ख़राब हो गयी है। जिस प्रकार मछली बिन पानी की तड़फती है, वही हाल आज उत्तराखण्ड में मेरे ट्रांस्पोर्ट्स का है। “मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हम लोगों की कोई सुध नहीं ले रही है। बात करने को राज़ी नहीं है सरकार।
हम/मेरे लोगों द्वारा कई बार निवेदन किया गया, मगर सी एम साहब हमें बात करने लायक़ नहीं समझ रहे हैं। सुनने वाला कोई नहीं है। मैं उत्तराखण्ड टैक्सी मैक्सी महासंघ अध्यक्ष होने के नाते मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं अपने लोगों (ट्रांस्पोर्ट्स) को कैसे व किससे गुहार लगाऊँ ताकि इन लोगों की पीड़ा सरकार तक जा सके ऑर इनको कुछ सहायता दिला पाऊँ।”
यदि मुख्यमंत्री अब भी हमारी सुध नहीं लेंगी, तो हमें उग्र आंदोलन या आत्म हत्या करने को मजबूर होना पड़ेगा।