देहारादून : जनता द्वारा जनता के लिए चुनी हुई सरकार। लोकतंत्र का मतलब यही होता है ना। इसका मतलब भी साफ है। यहां ना कोई राजा है ना तानाशाह। पर क्या हम स्वस्थ लोकतंत्र में रह रहे हैं…? क्या यहां जनता के लिए, जनता की चुनी सरकार है…? क्या जनता को तरजीह दी जा रही है…? क्या सरकार जनता के प्रति संवेदनशील है…? क्या जनता ने जिस सरकार को चुना, वो सरकार जनता के लिए है या नहीं…? सरकार के खिलाफ अपने हकों की आवाज बुलंद करने वालों की आवाज को दाबया जा रहा है। क्या यही लोकतंत्र है…? लोकतंत्र में सभी के समान अधिकार हैं। पर क्या यहां सबको समान अधिकार मिल पा रहे हैं…? ये सब सवाल इस लोकतंत्र को लकवाग्रस्त कर रहे हैं। आज हमारा लोकतंत्र डिप्रेशन में है।
हमारा देश भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दुनिया के तमाम रिसर्च और जानकार भारत के लोकतंत्र को कमजोर होता देख रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हर दिन लोकशाही का गला कहीं ना कहीं घोट दिया जाता है। इस देश में जनता के चुने प्रतिनिधि सरकार से ज्यादा पार्टियों के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता हैं। उनको देश और राज्य से सज्यादा अपनी पार्टी की चिंता है। जनता उनके लिए दोयम है। जब तक जतना को पहले दर्ज का नहीं माना जाता, लोकतंत्र कभी स्वस्थ नहीं हो सकता। संयुक्त राष्ट्रसंघ हर साल अंतराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के लिए थीम घोषित करता है। इस बार की थीम भी कुछ खास है। थी का नाम है ‘‘तनाव में लोकतंत्र’’। यही हाल पूरी दुनिया का भी है। पूरी दुनिया में लोकतंत्र खतरे में है। इसको लेकर संयुक्त राष्ट्रसंघ समेत दुनिया के बड़े विद्वान चिंता जाहिर कर चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा किए फिलहाल लोकतंत्र किसी भी समय से अधिक तनाव में दिख रहा है। यही कारण है कि इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस को हमें लोकतंत्र को सशक्त बनाने और व्यवस्थित चुनौतियों के उत्तर देने के तरीकों को तलाशना चाहिए। इसका मतलब है आर्थिक और राजनीतिक दोनों असमानता से निपटना। पर क्या पूरे विश्व में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकारें स्वस्थ्य लोकतंत्र देने में समक्षम हो पा रही हैं। यह सवाल मजबूती से रह-रह कर उठ रहा है।
ऐसे शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस
आज यानि 15 सितंबर को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। लोकतंत्र का मतलब है जनता की मर्जी से जनता के लिए चुनी गई सरकार। मतलब यहां न कोई राजा है और न ही कोई तानाशाह, यहां सरकार जनता चुनती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2007 में 15 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस घोषित किया था। लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा देने और बनाए रखने के उद्देश्य से हर साल 15 सितंबर को ये दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2007 में अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस की शुरुआत की थी। विश्व में लोकतंत्र को बढ़ावा देने और उसे मजबूत करने के उद्देश्य से इसका प्रस्ताव पारित किया गया था। पहली बार अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस साल 2008 में मनाया गया।