नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। देशभर में जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच किसान संगठनों और सरकार के बीच कानून पर बने गतिरोध को सुलझाने के लिए आज तीसरे दौर की बातचीत होगी। हजारों की संख्या में किसान दिल्ली और उसकी सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसानों का आंदोलन लगातार जोर पकड़ता जा रहा है। इस बीच शनिवार को सरकार एक बार फिर किसानों को मनाने की कोशिश करेगी। चिल्ला बॉर्डर (दिल्ली नोएडा लिंक रोड) पर विरोध प्रदर्शन में बैठे एक किसान ने कहा, “यदि केंद्र सरकार के साथ आज की बातचीत पर कोई ठोस नतीजे नहीं निकलते हैं तो हम संसद का घेराव करेंगे.” किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं।
आज होने वाली वार्ता में सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर शामिल होंगे। उनके साथ खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य-उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश भी होंगे। माना जा रहा कि इस बैठक में कोई फैसला हो सकता है। 3 दिसंबर को हुई पिछली बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों की कई मांगों पर विचार का भरोसा दिया है।
किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। उन्होंने दो टूक शब्दों में अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो वे राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने वाली और सड़कें बंद कर देंगे। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखवाल ने कहा कि हमने आठ दिसम्बर को भारत बंद का का फैसला किया है और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजा पर कब्जा भी कर लेंगे। उन्होंने कहा कि किसान शनिवार को केन्द्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और उनके पुतले फूकेंगे। सात दिसम्बर को खिलाड़ी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए अपने पदक लौटाएंगे।
गुरुवार को तोमर ने किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया था कि सरकार उनकी चिंताओं को दूर करने का हरसंभव प्रयास करेगी। इसके तहत मंडियों को मजबूत बनाने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ समान परिवेश सृजित करने और विवाद समाधान के लिये किसानों को ऊंची अदालतों में जाने की आजादी दिए जाने जैसे मुद्दों पर विचार करने को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद व्यवस्था जारी रहेगी। लेकिन दूसरे पक्ष ने कानूनों में कई खामियों को गिनाते हुए कहा कि इन कानूनों को सितंबर में जल्दबाजी में पारित किया गया।