सूरत: शुक्रवार को अग्निकांड में 20 छात्र-छात्राओं की मौत के बाद पूरे सूरत शहर में मातम पसरा है। गुजरात में सूरत के सरथाणा स्थित कोचिंग सेंटर ‘तक्षशिला आर्केड’ में लगी आग में छात्र-छात्राओं समेत 23 लोगों की मौत हो चुकी हैं। सूरत के मुख्य श्मशान घाट पर शनिवार की सुबह से शवों की लाईन लगी हुई थी। जिन लोगों ने अपने बच्चे खोए, उनका रो रो कर बुरा हाल था। हर चेहरा उदास दिख रहा था। जिस तरह से परिजन अपने गुजरे हुए बच्चों के लिए बिलख रहे थे। पुलिसकर्मियों और मीडिया कर्मियों की आंखों में भी आंसू आ गए। सूरत के सरथाणा इलाके में स्थित तीन मंजिला तक्षशिला कांप्लेक्स में ये आग लगी थी। जिसकी छत पर टीन शेड डालकर कोचिंग क्लास चलाया जा रहा था। अलोहा क्लासेज में आर्किटेक्ट और डिज़ाइनिंग स्टूडेंट को नाटा के प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी कराई जाती है। छुट्टियों का दौरान समर क्लास में बहुत सारे बच्चे प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए आए थे। जिनमें ज्यादातर लड़कियां थीं।ये इलाका पाटीदार समाज बहुल है, और हादसे में प्रभावित ज़्यादातर बच्चे इसी समुदाय से आते हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ,यह अग्निकांड इतना भयानक था कि जान बचाने के लिए स्टूडेंट झुलसते हुए बिल्डिंग से गिर रहे थे। 13 स्टूडेंट नीचे कूदे। मगर, जिस तरह मृतक झुलसे, उनके परिजनों का उन्हें पहचान पाना मुश्किल हो गया। परिजनों ने घड़ी से और मोबाइल पर घंटी दे-देकर अपनों की शिनाख्त की। कई तो घंटों तक भटकते रहे। हादसा गुरुवार दोपहर 3:40 बजे शॉर्ट सर्किट की वजह से हुआ। आग को बुझाने में करीब 6 घंटे का समय हुआ।
चश्मदीदों के मुताबिक, बिल्डिंग में आग के हादसे के वक्त 60 स्टूडेंट अलग-अलग क्लासेज में मौजूद थे। ज्यादातर की उम्र 15 से 22 की होगी। ये लोग दूसरी, तीसरी और मंजिल पर चलने वाली आर्ट-हॉबीज क्लासेज अटेंड कर रहे थे। आग की लपटें देख वे सभी जान बचाने के लिए चीखने-चिल्लाने लगे। कुछ ने तीसरी और चौथी मंजिल से कूदना शुरू कर दिया। इसी दौरान कई झुलस गए और कुछ के हाथ-पैर टूट गए। कूदने वाले भी कई बच्चों की मौत हो गई।
फायर ब्रिगेड को पहुंचने में 45 मिनट लगे। आग के इस हादसे से जुड़े सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि इस हादसे की सूचना दिए जाने के बाद 45 मिनट तो फायर ट्रेंडर को पहुंचने में लग गए। वहीं, इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने पीड़ितों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। वे खुद अस्पताल में घायलों को देखने पहुंचे। मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपए आर्थिक मदद की घोषणा कर दी गई। साथ ही सरकार ने साफ किया कि अब सभी सरकारी और निजी स्कूलों और ट्यूशन कक्षाओं में अग्नि सुरक्षा मानदंडों की जांच होगी। जिन बिल्डिंग्स में फायर सेफ्टी सुविधा नहीं होगी, उन्हें सील कर दिया जाएगा। बता दें कि तक्षशिला कॉम्प्लेक्स नामक यह बिल्डिंग मुंबई-अहमदाबाद हाइवे के पास सरथना इलाके में स्थित है। इसके पास ही में कई दुकानें और कोचिंग सेंटर्स हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अग्निकांड पर दुख जताते हुए कहा, ‘सूरत में आग की घटना से बेहद व्यथित हूं। मेरी संवेदना पीड़ित परिवारों के साथ हैं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
हादसे के प्रत्यक्षदर्शी प्रफुल्ल मनकाना के अनुसार, तक्षशिला इमारत के पास ही गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ट्रांसफार्मर था तक्षशिला इमारत के पास ही गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ट्रांसफार्मर था जिसमें स्पार्क के कारण आग लग गई। जिसमें स्पार्क के कारण आग लग गई। स्पार्क की वजह से आग नीचे से तीसरे माले तक पहुंची और फिर छत पर लगे शेड में थर्मोकोल के कारण आग देखते देखते पूरी तरह फैल गई। पुलिस कमिश्नर सतीश कुमार मिश्रा ने पत्रकारों को बताया कि हादसे के दौरान छत पर 40 बच्चे थे। आग में झुलस कर और कूदने से 20 बच्चों की मौत हो गई।
जिस समय आग फैल रही थी, केतन चौडवाडिया घटनास्थल पर मौजूद थे। उन्हें बच्चों को बचाने की भरसक कोशिश की। केतन बताते हैं कि वो इस कोशिश में तीसरे माले तक गए और बच्चों को पकड़ कर रखा ताकि वो कूदे नहीं। बाद में इन सभी को फ़ायर ब्रिगेड के कर्मियों ने सीढ़ियों के रास्ते नीचे उतारा। केतन ने क़रीब 10 बच्चों को बचाया। स्थानीय लोगों का गुस्सा फ़ायर ब्रिगेड को लेकर अधिक दिखा। उन्होंने बताया कि फ़ायर ब्रिगेड का कार्यालय घटनास्थल से महज तीन किलोमीटर दूर था। लेकिन उन्हें आने में 45 मिनट लग गए।
जब दमकल विभाग के कर्मचारी पहुंचे तो उनके पास इतनी लंबी सीढ़ियां नहीं थी कि वो तीसरे माले तक पहुंच सकें। इस दौरान कुछ बच्चों के परिजन भी पहुंच गए थे। इन्हीं में से एक बच्चे नीट संघानी के एक रिश्तेदार ने बताया कि वो दमकल कर्मियों के साथ दूसरे माले तक गए थे। लेकिन आग तक पहुंचने के लिए पानी का प्रेशर इतना नहीं था कि वो तीसरे माले तक पहुंच जाए । इतने बड़े हादसे से लोगों में भरी गुस्सा है।शुक्रवार को ही गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी परिजनों से मिलने पहुंचे। उन्होंने पीड़ितों के परिजनों को चार चार लाख रुपये देने की घोषणा के साथ हादसे की जांच के आदेश दिये। शनिवार को विपक्ष के नेता परेश धानानी भी पहुंचे और विपक्षी दलों के नेताओं के आने का सिलसिला जारी है। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति ने शनिवार को सूरत बंद का आह्वान किया है। सूरत शाखा के संयोजक धार्मिक मालवीय ने बीबीसी को बताया कि जबतक दोषी लोगों को पकड़ा नहीं जाता उनका विरोध जारी रहेगा।
सूरत के इस इलाके में शनिवार को ज़्यादातर दुकाने बंद रहीं और लोग सड़कों पर दिखे। पूरे शहर में एक मातम जैसा माहौल है। सूरत पुलिस ने एलोहा क्लासेज के संचालक भार्गव बुटानी को गिरफ्तार किया है। भार्गव छत पर टीन शेड में किराए पर कोचिंग चलाते थे। दूसरे और तीसरे माले के मालिक हर्सुल भाई वेकड़िया और जिग्नेश बाघडाल हैं। परेश पटेल की बेटी श्रुति पटेल (13) उसी कोचिंग में मौजूद थीं। वो हादसे में किसी तरह बच गई हैं। परेश पटेल ने बताया कि दमकल की गाड़ियां लेट आईं। वहीं परिजनों ने इस बात को काफ़ी नाराज़गी में गुस्से से कहा। फ़ायर कर्मचारियों ने कहा वो आ तो गए लेकिन उनके पास पूरे उपकरण भी नहीं है। एक छात्र नीट संघानी (17) को इस हादसे में बचाया नहीं जा सका। उनके मामा मिलिंद वाला ने बताया, “नीट पढ़ाई में काफ़ी अच्छा था और दसवीं में से 89 प्रतिशत अंक मिले थे और वो आर्किटेक्ट बनना चाहता था। एक अन्य छात्र दर्शन ढोला (17) इस हादसे में बच तो गए लेकिन कूदते समय उनके जबड़े में काफ़ी चोटें आईं और उनकी कई सर्जरी होनी है। हालांकि कूदते समय दर्शन को पकड़ने की कई लोगों ने कोशिश की थी। दर्शन के भाई पार्थव ने बताया। वो काफी अच्छे विद्यार्थी थे जिनका ऑल इंडिया जेईई में शीर्ष 100 रैंक में नाम आया था। अब नहीं जानते कि वो कब अपनी पढ़ाई शुरू कर पाएंगे। वहीं मरने वालों बच्चों में सबसे कम उम्र (15 साल) ईशा काकड़िया की थी।
इस पूरे मामले में फ़ायर चीफ़ बसंत परिक ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। गुजरात अरबन डेवलेपमेंट एंड अरबन हाउसिंग डिपार्टमेंट के प्रिंसिपिल सेक्रेटरी मुकेश पुरी ने बीबीसी को बताया कि ‘फ़ायर ब्रिगेड को लेकर जो भी शिकायतें हैं उन्हें लेकर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और वो खुद इस मामले की जांच कर रहे हैं। कलतक इसकी रिपोर्ट वो सरकार को देंगे।
उन्होंने कहा कि ज़िम्मेदार फ़ायर डिपार्टमेंट के लोगों पर कार्रवाई की जाएगी और सिर्फ सूरत में ही नहीं बल्कि पूरे गुजरात में ऐसे हादसे आगे न हों इसके लिए एक नीति बनेगी। बहुत सारे लोगों ने बताया कि ऐसी कई व्यावसायिक इमारतें हैं जिनके छत को भी किराए पर दे दिया गया है। स्वाभाविक बात है कि अगर छत पर शेड बनाकर व्यावसायिक गतिविधि चल रही है। तो वहां सुरक्षा के उपाय की कोई गारंटी नहीं है। निकास द्वार भी एक ही होता है।