नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की नियुक्ति के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। वे मौजूदा मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद 3 अक्टूबर को शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे। याचिकाकर्ता आर. पी. लूथरा का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर देश की न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचाने का काम किया। साथ ही याचिका में ये भी कहा गया था कि उन्होंने देश में कोर्ट के कुछ आंतरिक मतभेदों के नाम पर जनता में आक्रोश पैदा करने का प्रयास किया।
वकील आर. पी. लूथरा द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि प्रतिवादी सरकार और चीफ जस्टिस की उस कार्रवाई से आहत है, जिसका नतीजा जस्टिस गोगोई को उनके गैरकानूनी और संस्था विरोधी कृत्य के लिए प्रताड़ित करने की बजाय चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति के रूप में हुई। याचिका में कहा गया था कि अदालत का सर्वोच्च पद ऐसे व्यक्ति को सौंपा जा रहा है जो न्यायिक कदाचार और न्यायिक रूप से अयोग्यता का दोषी है।
याचिका में जस्टिस गोगोई को 3 अक्टूबर से देश का नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया गया था। राष्ट्रपति ने जस्टिस गोगोई को 3 सितंबर को भारत के 46वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया था, जो 2 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की जगह लेंगे।