नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने बिना नोटिस जारी किए केंद्र सरकार से निर्णय की प्रक्रिया को लेकर रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से राफेल विमान सौदे पर फैसले की प्रक्रिया का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में मांगा है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसे कीमत और सौदे के तकनीकी विवरणों से जुड़ी सूचनाएं नहीं चाहिए। न्यायालय ने इसके अलावा स्पष्ट किया कि वह याचिकाओं में लगाए गए आरोपों को ध्यान में नहीं रख रहा है।
केंद्र ने राफेल पर दाखिल जनहित याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए ये दाखिल की गई हैं और इन्हें खारिज किया जाए। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के.एम. जोसेफ शामिल हैं। खंडपीठ राफेल सौदे पर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह सीलबंद लिफाफे में से 29 अक्टूबर तक सूचनाएं सौंपे। इस पर अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार फ्रांस के साथ हुए राफेल विमान सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस का दावा है कि सौदे से सरकारी खजाने को 41,205 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर राफेल लड़ाकू विमान का संदेहपूर्ण सौदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि श्यह सौदा केवल मोदी से सांठगांठ रखने वाले श्दिवालिया पूंजीपति के लिए किया गया।
एक अनुभवहीन कंपनी को सरकारी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. (एचएएल) की जगह पर चुना गया। वहीं, कांग्रेस पर पलटवार करते हुए रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण का कहना कि पार्टी इसलिए परेशान है, क्योंकि वह पैसा नहीं बना सकी। उन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार पर बिचैलियों के साथ बातचीत करने और रक्षा बलों के लिए आवश्यक जरूरी उपकरण नहीं खरीदने का आरोप लगाया।