देश में एक बड़ी बहस छिड़ी हुई है कि क्या निजता का अधिकार नागरिकों का मौलिक अधिकार है या नहीं? इसी सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला सुरक्षित रख लिया है।
आपको बता दे की इस मामले में 8 दिनों तक सुनवाई चली। आधार को लेकर आम जनता की चिंता को कम करते हुए UIDAI के एडिशनल सॉलिसिटर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार चाहे भी तो नागरिकों की जासूसी में आधार का इस्तेमाल नहीं कर सकती है, क्योंकि ये तकनीकी रूप से मुमकिन ही नहीं है। यहां तक कि अगर कोर्ट अनुमति दे तो भी सरकार इसे सर्विलांस के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकती।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान एएसजी तुषार मेहता ने कहा था कि कोर्ट का काम कानून बनाना नहीं बल्कि कानून की व्याख्या करना है। चाहे कोर्ट राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकार बताए या नहीं लेकिन आनलाइन के दौर में कुछ भी प्राइवेट नहीं रहा है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या आधार के डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए कोई मजबूत मैकेनिज्म है?